नई दिल्ली । एक तरफ जहां चुनाव प्रचार जोरों पर है, वहीं दिल्ली की गुमनाम सी बस्ती शाहीन बाग की चर्चा देश के कोने-कोने में हो रही है। दुनिया का कोई भी कोना इसकी चर्चा से अछूता नहीं है। इसकी वजह एक धरना है, जो देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद इसके विरोध में जारी है। यह धरना राजधानी दिल्ली में अब तक हुए तमाम धरना प्रदर्शनों को पीछे छोड़ रोज नया रिकॉर्ड बना रहा है। इस पर पुलिस ही नहीं तमाम एजेंसियों की नजर है। धरने से आधी दिल्ली के लोग परेशान हैं, फिर भी पुलिस इसे इसलिए नहीं हटा पा रही क्योंकि यह धरना दिल्ली में हो रहे विधानसभा चुनाव के कारण बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। लोग इसके पीछे राजनीतिक पार्टियों का खेल मान रहे हैं। अब लोगों की निगाहें आठ फरवरी पर टिकी हैं। लोग सोच रहे हैं कि चुनाव खत्म होते ही आठ फरवरी को धरना खत्म हो जाएगा अथवा पुलिस जबरन हटा देगी।
नए आयुक्त की चर्चा
दिल्ली पुलिस का नया आयुक्त कौन होगा, इसे लेकर महकमे में चर्चा जोरों पर है। सबसे मजबूत चर्चा महाराष्ट्र कैडर के 1985 बैच के आइपीएस सुबोध कुमार जायसवाल की ही है। वह वर्तमान में महाराष्ट्र पुलिस के डीजी हैं। गत दिनों उनके गृहमंत्रलय में देखे जाने से चर्चा और तेज हो गई। कहा जा रहा कि पटनायक को इसीलिए सेवा विस्तार मिला ताकि तब तक सुबोध का कैडर बदला जा सके। दिल्ली पुलिस में यूटी कैडर के ही आइपीएस आयुक्त बनते रहे हैं। उस हिसाब से चर्चा यह भी है कि चुनाव खत्म होते ही उपराज्यपाल 15 फरवरी तक यूटी कैडर के तीन आइपीएस के नाम का पैनल बना गृह मंत्रलय को भेज देंगे। पैनल में 1985 बैच के आइपीएस एसएन श्रीवास्तव, 1987 बैच के ताज हसन व 1988 बैच के बालाजी श्रीवास्तव का नाम हो सकता है। उम्मीद है कि अब 22 फरवरी तक नया पुलिस आयुक्त मिल जाएगा।
सीएए के विरोध में शाहीन बाग में चल रहे धरने से आजिज आकर नाबालिग और एक अन्य युवक द्वारा गोलियां चलाने की घटना से नाराज चुनाव आयोग ने रविवार रात को दक्षिण-पूर्वी जिला के डीसीपी चिन्मय बिश्वाल को हटाकर पुलिस महकमे में सनसनी फैला दी। कार्रवाई से पूरा महकमा हैरान है। चुनाव आयोग ने न तो पुलिस मुखिया और न ही चुनाव सेल के नोडल अधिकारी विशेष आयुक्त प्रवीर रंजन को इस फैसले संबंधी जानकारी दी। सीधे मीडिया को ही जानकारी दी। मीडिया से ही मुखिया, नोडल अधिकारी व अन्य अधिकारियों को जानकारी मिली। डीसीपी बिश्वाल को हटाने पर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कुछ इसे राजनीतिक खेल बता रहे तो कुछ का कहना है डीसीपी को हटाने से शाहीन बाग में शांति बहाल हो जाएगी। चुनाव आयोग के अफसरों को डीसीपी द्वारा चुनाव संबंधी दिया गया सुझाव ठीक न लगना भी कार्रवाई की वजह मानी जा रही है।
शाहीन बाग में जिस तरह से समुदाय विशेष के लोगों का धरना जारी है। हाल ही में शाहीन बाग में गोलीबारी की दो घटनाओं से प्रदर्शनकारी और एकजुट होते दिख रहे हैं। ऐसे में दिल्ली पुलिस के साथ-साथ चुनाव आयोग व सरकार इस बात को लेकर चिंतित है कि कहीं शाहीन बाग व जामिया के लोग विधानसभा चुनाव का बहिष्कार न कर दें। अगर ऐसा हुआ तब आठ फरवरी को 69 सीटों पर ही चुनाव हो सकेगा। एक सीट के लिए बाद में चुनाव कराना पड़ेगा। पुलिस महकमे में इस बात की चर्चा भी चल रही है। तभी कानून व्यवस्था में सुधार लाने के मकसद से आयोग ने डीसीपी चिन्मय बिश्वाल को वहां से हटा दिया। ताकि प्रदर्शन कर रहे लोगों में सख्ती का संदेश जाए और कानून व्यवस्था में सुधार आए। क्या पता, लोग धरना भी खत्म कर दें। पुलिस अधिकारी व आयोग बेहतर परिणाम की उम्मीद में हैं।