देश

मकर संक्रांति आज; बन रहे हैं 3 राजयोग, 320 साल पहले बनी थी ग्रहों की ऐसी स्थिति

दिल्ली। आज मकर संक्रांति है। इस मकर संक्रांति पर 3 राजयोग बन रहे हैं। इसके साथ ही कुछ ग्रह स्थिति ऐसी बन रही है जो 320 साल पहले बनी थी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य पं गणेश मिश्रा के अनुसार बृहस्पति के कारण  हंस योग, बुध और शुक्र से केंद्र-त्रिकोण राजयोग और सूर्य के आसपास शुभ ग्रहों के होने से  उभयचरी राजयोग बन रहा है। 14 जनवरी की रात करीब ढाई बजे सूर्य का मकर राशि में प्रवेश हुआ है। इसलिए 15 जनवरी को मकर संक्रांति के पुण्यकाल में सुबह 7.25 से शाम 05.35 तक स्नान, दान और धार्मिक कार्य करना विशेष फलदायी रहेगा।

ग्रहों की शुभ स्थिति और फल

  • इस साल मकर संक्रांति पर सूर्य और बुध एक ही राशि में है। बृहस्पति और मंगल अपनी-अपनी राशियों में मौजूद हैं। वहीं चंद्रमा सिंह राशि यानी सूर्य की राशि में है। इनके साथ ही सूर्य का राशि परिवर्तन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र और शोभन योग में हुआ है। ग्रहों की ऐसी स्थिति 3 सदी पहले 10 जनवरी 1700 को बनी थी।
  • पं मिश्रा के अनुसार इस साल मकर संक्रांति पर ग्रहों की शुभ स्थिति से 3 राजयोग भी बन रहे हैं। इनके शुभ प्रभाव से देश तरक्की करेगा और आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा। अनाज और फलों का उत्पादन बढ़ेगा। विदेशों से धन लाभ होगा और देश की प्रशासनिक सेवाओं एवं सीमाओं से जुड़े बड़े फैसले होंगे। जिनका फायदा आने वाले समय में मिलेगा।

मकर संक्रांति का फल

पं मिश्रा के अनुसार पंचमी तिथि में सूर्य का मकर राशि में आना शुभ माना जाता है। इसके प्रभाव से देश में कृषि, प्रॉपर्टी और जमीन से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यों में तरक्की होगी। बुधवार होने से फसलों का उत्पादन अच्छा होगा, अनाज और सब्जियों के निर्यात से फायदा बढ़ेगा, फल एवं सब्जियों के दाम सालभर सामान्य रहेंगे। पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में मकर संक्रान्ति होने से देश में जलाशय, सड़क निर्माण, रेलवे लाईन बिछाने जैसे महत्वपूर्ण काम होंगे। शोभन योग होने से देश की ख्याति दूर तक फैलेगी। इसके प्रभाव से विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ेगी। तैतिल करण में सूर्य की संक्रान्ति होने से राजकर्मचारियों एवं सैनिकों के लिए समय अच्छा रहेगा।

देवताओं का प्रभातकाल, मलमास खत्म और शुरू होंगे शुभ कार्य 

  • उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार देवताओं का प्रभातकाल मकर संक्रांति है। सूर्य बारह राशियों का परिभ्रमण एक साल में करता है। कर्क से धनु राशि तक दक्षिणायन रहता है तथा मकर राशि में प्रवेश से उत्तरायन शुरू होता है। मकर संक्रांति से रातें छोटी होने लगती हैं। 
  • इस पर्व के साथ ही सभी शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। मलमास खत्म हो जाने से सभी लोग मांगलिक और शुभ काम कर सकेंगे। मकर संक्रांति को तीर्थ स्नान और दान का महत्व है। परंपरा में लोग इस दिन तिल का उबटन लगा कर स्नान करते हैं। तिल-गुड़ का दान भी करते हैं।

गरीबों और नीचले वर्ग के लिए विशेष शुभ  

पं मिश्रा के अनुसार संक्रांति के स्परूप का विचार किया जाए तो इस बार संक्रांति गदर्भ पर बैठ कर आ रही है। यानी संक्रांति का वाहन गधा रहेगा। हल्का पीला वस्त्र धारण किए हुए, शरीर पर मिट्टी का लेप कर रखा है। हाथ में डंडा,केतकी के फूलों की माला पहने हुए है। मकर संक्रांति का ये स्वरूप गरीबों, निर्धनों और निचले वर्ग वालों के लिए अच्छा रहेगा। इसके प्रभाव से धन की कमी दूर होगी।  गल्ला के भाव स्थिर रहेंगे। खनिज वस्तु, मेवा, गुड़, शक्कर आदि के व्यापारियों को लाभ होगा।

पं मिश्रा के अनुसार संक्रांति के स्परूप का विचार किया जाए तो इस बार संक्रांति गदर्भ पर बैठ कर आ रही है। यानी संक्रांति का वाहन गधा रहेगा। हल्का पीला वस्त्र धारण किए हुए, शरीर पर मिट्टी का लेप कर रखा है। हाथ में डंडा,केतकी के फूलों की माला पहने हुए है। मकर संक्रांति का ये स्वरूप गरीबों, निर्धनों और निचले वर्ग वालों के लिए अच्छा रहेगा। इसके प्रभाव से धन की कमी दूर होगी।  गल्ला के भाव स्थिर रहेंगे। खनिज वस्तु, मेवा, गुड़, शक्कर आदि के व्यापारियों को लाभ होगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com