नई दिल्ली। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की हालिया रिपोर्ट ‘क्राइम इन इंडिया-2018’ के अनुसार, सबसे अधिक राजनीतिक हत्या यानी कि राजनीतिक कारणों से हत्या पश्चिम बंगाल में हुई है. हालांकि महिलाओं के खिलाफ हिंसा के सबसे अधिक मामले यूपी मे दर्ज किए गए हैं. वहीं सबसे अधिक किसानों के आत्महत्या का मामला महाराष्ट्र में सामने आया है. जबकि पूरे देश में दस हजार किसानों ने आत्महत्या की है.
साल 2018 का डाटा गृह मंत्रालय के अनुरूप नहीं है. क्योंकि इसमें सभी राज्यों से स्पष्टीकरण मांगा गया था लेकिन पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और सिक्किम ने ऐसा नहीं किया. केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला एनसीआरबी भारतीय दंड संहिता और विशेष एवं स्थानीय कानून के तहत देश में अपराध के आंकड़ों को एकत्रित करने तथा विश्लेषण के लिए जिम्मेदार होता है. आइए एक नजर डालते हैं एनसीआरबी आंकड़ों की दस प्रमुख बातों पर-
- पश्चिम बंगाल में साल 2018 में कुल 12 लोगों की हत्या राजनीतिक कारणों से हुई. वहीं बिहार में नौ लोगों की जबकि महाराष्ट्र में सात लोगों की. हालांकि सलाना रिपोर्ट देखें तो 2017 के मुकाबले 2018 में कम हत्याएं हुई हैं. साल 2018 में कुल 54 लोगों की हत्या हुई, जबकि साल 2017 में यह संख्या 98 थी.
- रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 3,78,277 मामले सामने आए हैं. हालांकि साल 2017 में ऐसे मामलों की संख्या 3,59,849 थी. यूपी में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 59,445 केस सामने आए हैं, जो सबसे अधिक है. वहीं दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र (35,497) और तीसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल (30,394) है.
- एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018 में कृषि क्षेत्र में काम करने वाले 10,349 लोगों ने आत्महत्या की. यह देश में इस अवधि में हुए खुदकुशी के मामलों का सात फीसदी है. इनमें किसान और खेतिहर मजदूर दोनों शामिल हैं. वर्ष 2018 में कुल 1,34,516 लोगों ने आत्महत्या की. आत्महत्या के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र (17,972) में दर्ज किए गए है. दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर क्रमश: तमिलनाडु (13,896), पश्चिम बंगाल (13,255), मध्य प्रदेश (11,775) और कर्नाटक (11,561) है. उत्तर प्रदेश में कुल खुदकुशी में से केवल 3.6% मामले ही दर्ज किए.
- साल 2018 में कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कृषि क्षेत्र में जीरो सुसाइड हुए. इनमें पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, उत्तराखंड, मेघालय, गोवा, चंडीगढ़, दमन और दीव, दिल्ली, लक्षद्वीप और पुदुचेरी है.
- 2018 के दौरान लापरवाही के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में 1,35,051 मौतें हुईं. आंकड़े बताते हैं कि इस दिशा में पिछले दो वर्षों की तुलना में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. देशभर में 2017 में कुल 1,34,803 मौत की घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि 2016 में यह आंकड़ा 1,35,656 था. ‘हिट एंड रन’ मामलों में पिछले साल की तुलना में बड़ी वृद्धि देखने को मिली है.
- ‘हिट एंड रन’ मामलों में भी 2017 की तुलना में बढ़ोतरी देखी गई. 2017 में जहां 43,727 मामले सामने आए, वहीं 2018 में इनकी संख्या बढ़कर 47,028 तक पहुंच गई.
- एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, देश में रोजाना औसतन 80 हत्याएं, 289 अपहरण तथा 91 दुष्कर्म की घटनाएं हुईं हैं.
- मध्य प्रदेश बलात्कार के मामलों में वर्ष 2018 में भी फिर देश में पहले नंबर पर रहा. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में देश में रेप की कुल 33,356 घटनाएं हुईं. इनमें से 5,433 घटनाएं (करीब 16 प्रतिशत) मध्य प्रदेश में हुईं, जिनमें पीड़िताओं में छह साल से कम उम्र की 54 बच्चियां भी शामिल हैं. 2018 में रेप के मामलों में मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान 4,335 घटनाओं के साथ दूसरे और उत्तर प्रदेश इस तरह की 3,946 घृणित घटनाओं के साथ तीसरे स्थान पर रहा.
- आंकड़े के अनुसार 2017 में बलात्कार के 32,559 मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2016 में यह संख्या 38,947 थी. एनसीआरबी के अनुसार 2017 (50,07,044 मामलों) की तुलना में अपराध की कुल संख्या में 1.3 प्रतिशत का इजाफा हुआ, प्रति लाख की आबादी पर अपराध दर में हालांकि 2017 (388.6) की तुलना में 2018 में (383.5) कमी आई है.
- साल 2018 में हत्या के 29,017 मामले रिपोर्ट किए गए. यानी इस साल हर दिन औसतन 80 हत्याएं हुईं. 2017 में मर्डर के 28,653 केस दर्ज किए गए थे. इसके साथ ही 2018 में अपहरण के कुल 1,05,734 केस दर्ज हुए. यानी हर दिन औसतन 289 अपहरण. जबकि 2017 में ऐसे 95,893 केस दर्ज किए गए थे.