दिल्ली। हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बड़ी तादाद में दूसरे दलों से आए हुए नेताओं को मैदान में उतारा था. बीजेपी को इन तीनों राज्यों में अपने नेताओं को दरकिनार कर दलबदलुओं पर दांव लगाना बुरी तरह से फेल रहा है. अब दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस से नाता तोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले नेता विधानसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि तीन राज्य में फेल रहे फॉर्मूले को क्या दिल्ली की सियासत में आजमाने की साहस बीजेपी जुटा पाएगी?
कपिल मिश्रा और वेद प्रकाश बीजेपी से मांग रहे टिकट
दिल्ली की करावल नगर सीट से AAP के टिकट पर पिछले विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने वाले कपिल मिश्रा और बवाना सीट से AAP विधायक रहे वेद प्रकाश इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. ये दोनों नेता अपनी-अपनी सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. हालांकि वेद प्रकाश को 2018 में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने बवाना से प्रत्याशी भी बनाया था, लेकिन वह AAP उम्मीदवार से जीत नहीं सके थे.
कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने वाले पूर्व विधायक अमरीश गौतम कोंडली सीट से टिकट मांग रहे हैं. वहीं, आरके पुरम से पूर्व विधायक रहीं बरखा सिंह कांग्रेस से नाता तोड़कर बीजेपी का दामन थाम चुकी हैं और टिकट की जुगत में हैं. इसी सीट से AAP के टिकट पर 2013 में चुनाव लड़ने वाली शाजिया इल्मी भी बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर चुकी हैं.
लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी का दामन वाले विधायक
लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान दिल्ली के गांधीनगर से AAP के विधायक अनिल वाजपेयी ने पार्टी से नाता तोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था, जिसके बाद उनकी सदस्यता रद्द हो गई थी. अनिल वाजपेयी ने गांधीनगर सीट से टिकट मांग रहे हैं. देवली विधानसभा सीट से अनिल कुमार भी बीजेपी से टिकट की दावेदारी कर रखी है.
लोकसभा चुनाव के दौरान ही बिजवासन से विधायक देवेंद्र सहरावत भी AAP से बगावत कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. देवेंद्र सेहरावत अब बिजवासन से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने की कवायद में है. बाहर से आए कई नेताओं की मनचाही सीट से टिकट को लेकर दावेदारी से बीेजेपी के पुराने नेताओं की मुसीबत बढ़ गई है और वो नए सियासी ठिकाने की तलाश में हैं.
तीन राज्यों के चुनाव में दलबदलूओं नहीं जीत सके
बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने करीब एक दर्जन के करीब दलबदलू नेताओं को मैदान में उतारा था, इनमें से ज्यादातर नेता हार गए थे. ऐसे ही महाराष्ट्र में भी बीजेपी ने अपने नेताओं को दरकिनार कर कांग्रेस और एनसीपी से आए नेताओं को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा था, जिनमें से आधे से ज्यादा चुनाव हार गए. झारखंड में भी कुछ ऐसा ही हुआ जहां बीजेपी ने दलबदलुओं को अहमियत दी जो अपनी ही सीट नहीं बचा सके. यहां पाला बदलकर बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले जयप्रकाश पटेल और भानुप्रताप शाही ही जीतने में कामयाब रहे हैं.