नई दिल्ली। दिल्ली की अनाधिकृत कॉलोनी में रहने वाले लोगों को उनकी संपत्ति का मालिकाना हक देने का ऐलान हो चुका है. उसके बाद किस तरीके से कॉलोनी को नियमित किया जाएगा उसकी पूरी प्रक्रिया शुरू हो गई है.
अचानक से शुक्रवार को जब दिल्ली के 20 लोगों को उनके घर का मालिकाना हक प्रधानमंत्री उदय योजना के तहत मिला तो सब हैरत में रह गए. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक को पता नहीं चला कि उनकी ही सरकार के अधीन आने वाले राजस्व विभाग के कार्यालय में इन लोगों की अवैध कॉलोनियों के घरों की रजिस्ट्री भी हो गई और वह बिल्कुल अनजान रहे.
भाजपा विधायक ने की पहल तो जल्द मिली रजिस्ट्री
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 20 लोगों को उनके मालिकाना हक के दस्तावेज शुक्रवार को सौंपे. ये सभी लोग रोहिणी विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं. ये सब स्थानीय भाजपा विधायक और विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता की पहल पर ही जल्दी हो पाया. अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों को संपत्ति का मालिकाना हक दिलाने की शुरुआत होने से खुश विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि आज का दिन अनाधिकृत कॉलोनी के निवासियों के लिए ऐतिहासिक बन गया है. कॉलोनी के लोग इससे काफी खुशी है.
मोदी सरकार के प्रति बढ़ा भरोसा
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि मकान की रजिस्ट्री होने से अनाधिकृत कॉलोनियों के निवासियों में मोदी सरकार के प्रति भरोसा और बढ़ गया है. आज वह पूरी तरह से अपने आपको और अपनी संपत्ति को सुरक्षित महसूस कर रहे होंगे. लेकिन खेद की बात है कि आम आदमी पार्टी को इसकी खबर तक नहीं लगी. उनके नेता गरीबों को उनका हक दिए जाने पर सवाल उठा रहे हैं.
लिबासपुर स्थिति राजस्व विभाग के कार्यालय में हुई रजिस्ट्री
इन लोगों की रजिस्ट्री दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले लिबासपुर स्थित राजस्व विभाग में हुई है.
आप विधायकों पर भी आरोप
विजेंद्र गुप्ता ने आम आदमी पार्टी के विधायकों पर यह आरोप लगाया कि वह अपने क्षेत्र में आने वाले अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की दिशा में अगर कोई पहल लाते तो कॉलोनी के लोगों को भी संपत्ति का मालिकाना हक मिल जाता.
बता दें कि केंद्र सरकार के प्रधानमंत्री उदय योजना के तहत जिन अनाधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत करने की कवायद शुरू हुई है इससे वहां पर अतिरिक्त विकास हो सकेगा अधिकृत कॉलोनी के निवासियों के समक्ष वहां बिजली, पानी, सीवर, स्कूल, कॉलेज और अस्पतालों जैसी सुविधाएं दी जाएंगी.