नई दिल्ली। निर्भया केस के दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर की रिव्यू पिटिशन खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में दोषी के वकील को पूरा मौका दिया गया लेकिन दोषी के वकील ने कोई नई बात नहीं की है।
जस्टिस भानुमति जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि ये दलीलें हम पहले भी सुन चुके हैं। बता दें कि अक्षय के वकील ने दिल्ली में प्रदूषण और खराब हवा का हवाला देते हुए फांसी की सजा नहीं देने की गुहार लगाई थी। सलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि किसी भी सूरत में इस अपराध को माफ नहीं किया जा सकता और दोषी को फांसी ही मिलनी चाहिए।
दया याचिका पर राष्ट्रपति को करना है फैसला
बता दें कि अभी निर्भया मामले में दोषी विनय की दया याचिका पर राष्ट्रपति का फैसला नहीं आया है। बिना दया याचिका के नहीं हो सकती है फांसी। अक्षय भी दया याचिका दायर कर सकता है।
निर्भया की मां ने खुशी जताई
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भया की मां ने खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि वह शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत करती हैं। बता दें कि 16 दिसंबर 2012 को निर्भया के साथ रेप हुआ था।
अक्षय के वकील ने बोले-जनता के दबाव में फैसला
इस केस में मेरिट था। पर जनता के दबाव के आगे सारी मेरिट खत्म हो जाती हैं। चीफ जस्टिस ने कल केस को ट्रांसफर किया था। तथ्य और सबूत सब अच्छे होते हैं। दिल्ली सरकार ने अपनी राजनीति के लिए फांसी पर नोटिस जारी किया है। हमने सारी नई दलीलें दी थीं। वकील ने कहा कि कि वह इस मामले में क्यूरिटिव पिटिशन पहले फाइल करेंगे। अन्य दोषियों की तरफ से आज या कल तक क्यूरिटिव पिटिशन फाइल करेंगे। जब अक्षय के फैसले की कॉपी मिल जाएगी तब उसके लिए भी क्यूरिटिव पिटिशन फाइल करेंगे। इसके बाद दया याचिका दाखिल करेंगे।
3 जजों की पीठ ने की मामले की सुनवाई
इससे पहले जस्टिस भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दोपहर 1 बजे तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था। बहस के दौरान दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने अपने मुवक्किल को फोंसी नहीं देने की मांग की। सरकार की तरफ से पेश वकील एसजी तुषार मेहता ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने सभी दलीलों को सबूतों को परखने के बाद फांसी की सजा सुनाई, जो कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सही माना। यह अपराध ऐसा गंभीर है जिसे भगवान भी माफ नहीं कर सकता जिसमें सिर्फ फांसी की सजा ही हो सकती है।