दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के पिछले सप्ताह पास होने के बाद से बवाल मचा हुआ है, इसी बीच बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इस कानून के खिलाफ 60 से ज्यादा याचिकाओं पर सुनवाई होगी. याचिका दाखिल करने वाले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश, इंडियन मुस्लिम लीम और असम में सत्तारुढ़ भाजपा की सहयोगी पार्टी असम गण परिषद शामिल हैं. सीजेआई जस्टिस बोबडे के नेतृत्व वाली तीन जजों की बेंच इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. इस बेंच में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं.
कानून के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न सहने वाले और 31 दिसम्बर 2014 तक आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं बल्कि भारतीय नागरिक माना जाएगा. याचिकाकर्ता का कहना है कि नागरिकता देने के लिए धर्म को आधार नहीं बनाया जा सकता. उन्होंने नए कानून को संविधान के खिलाफ बताया है.
इस नए कानून का पूरे देश में जगह-जगह पर विरोध हो रहा है. दिल्ली में जामिया के बाद मंगलवार को सीलमपुर इलाके में हिंसक प्रदर्शन हुए. संशोधित नागरिकता कानून पर राजनीतिक लड़ाई मंगलवार को और तेज हो गई जब विपक्षी दलों ने ‘विभेदकारी’ कानून के खिलाफ राष्ट्रपति से गुहार लगाई जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘चाहे जो हो’ तीन पड़ोसी देशों के गैर मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता मिलेगी.
नागरिकता कानून में संशोधन के खिलाफ कई विपक्षी दलों ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में एकजुटता दिखाई और सरकार पर लोगों की ‘आवाज दबाने’ का आरोप लगाया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन पर पलटवार किया और आरोप लगाया कि कांग्रेस के ‘मित्र’ झूठ फैला रहे हैं और मुस्लिमों के बीच भय पैदा कर रहे हैं. नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के बीच मोदी ने झारखंड में एक चुनावी रैली में विपक्ष को चुनौती दी कि वे घोषणा करें कि सभी पाकिस्तानियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करेंगे.
विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया में छात्रों पर हुई पुलिसिया कार्रवाई और देश में अन्य जगहों पर हो रहे प्रदर्शनों को लेकर प्रहार किया. सोनिया गांधी ने तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, वामपंथी दलों सहित 12 विपक्षी दलों के नेतृत्व में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की. विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई कर रहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार जनता की आवाज दबा रही है और ऐसे कानून ला रही है जो लोगों को स्वीकार्य नहीं हैं.
राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद उन्होंने मीडिया से कहा, ‘हम सभी 12 विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति से मिलकर उनसे पूर्वोत्तर के हालात पर हस्तक्षेप की मांग की जो अब पूरे देश में होते जा रहे हैं जिसमें यहां जामिया भी शामिल है.’ सोनिया ने कहा, ‘यह बहुत गंभीर परिस्थिति है. हमें डर है कि यह और ना बढ़ जाए. हम भारत भर में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों से निपटने के पुलिस के तरीके से क्षुब्ध हैं.’ उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मी जामिया मिल्लिया इस्लामिया में महिला छात्रावासों में घुस गये और उन्होंने विद्यार्थियों की निर्मम पिटाई की.