दिल्ली। निर्भया कांड को पूरे 7 साल हो गए हैं. इस कांड के बाद से दिल्ली पुलिस ने ठाना कि वह न केवल बेटियों की सुरक्षा करेंगे, बल्कि उन्हें इस काबिल बनाएंगे कि वह खुद अपनी सुरक्षा कर सकें. इसकी जिम्मेदारी निभाते हुए अब तक 10 लाख से ज्यादा बेटियों को दिल्ली में आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिल्ली पुलिस की एसपीयूडब्ल्यूएसी द्वारा दिया जा चुका है. इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने दिल्ली पुलिस की उन मर्दानी से बात की जो खुद बेहतरीन प्रशिक्षण पाने के बाद दिल्ली की बेटियों को मजबूत बनाने में जुटी हुई हैं.
‘लड़कियों में आता है आत्मविश्वास’
स्कूल, कॉलेज, आरडब्ल्यूए और एनजीओ के माध्यम से लड़कियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने वाली महिला पुलिसकर्मियों ने बताया कि वह दिल्ली की प्रत्येक बेटी को सुरक्षित करने की दिशा में काम कर रहे हैं. उनके द्वारा केवल 10 से 15 दिन का प्रशिक्षण पाने वाली लड़कियों में इतना आत्मविश्वास आ जाता है कि वह अत्याचार नहीं सहती. वह इसका विरोध करती है. वह खुद ही मनचलों को सबक सिखाने में सक्षम बन जाती है.
बेहद खास होता है यह प्रशिक्षण
प्रशिक्षण देने वाली महिला पुलिसकर्मियों ने बताया कि इस प्रशिक्षण में वह बताते हैं कि बस, मेट्रो में सफर के दौरान अगर कोई उनसे छेड़छाड़ करें तो उन्हें कैसे पंच मारना है. अगर बाजार में कोई उनसे छेड़छाड़ करें तो उन्हें कैसे सबक सिखाना है. इतना ही नहीं उन्हें यह भी बताया जाता है कि उनके पास मौजूद छोटी-छोटी चीजों को वह कैसे हथियार बना सकती हैं. पेंसिल, पिन, चुन्नी, पानी की बोतल के जरिए वह कैसे छेड़छाड़ कर रहे शख्स पर हमला कर सकती हैं. उन्हें यह भी सिखाया जाता है कि कैसे न केवल वह मनचलों से बल्कि अपहरण की घटनाओं या तेजाब फेंकने की घटनाओं से भी बच सकती हैं.
ऐसे पुलिस से ले सकती हैं मदद
इस प्रशिक्षण के दौरान लड़कियों को यह भी बताया जाता है कि वह कैसे दिल्ली पुलिस से मदद ले सकती हैं. दिल्ली पुलिस की सभी हेल्पलाइन नंबर और हिम्मत प्लस ऐप की जानकारी भी उन्हें दी जाती है. उन्हें बताया जाता है कि किस तरीके से ऐप के जरिये वह दिल्ली पुलिस के संपर्क में रह सकती हैं. उन्हें यह भी बताया जाता है कि इस प्रशिक्षण को वह आगे अपनी साथियों को भी सिखाएं ताकि दिल्ली की प्रत्येक बेटी को सुरक्षित बनाया जा सके.
ऐसे लिया जा सकता है प्रशिक्षण
आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने की जिम्मेदारी संभाल रही एसीपी सुनीता शर्मा ने बताया कि स्कूल, कॉलेज, एनजीओ एवं आरडब्ल्यूए सीधे उनके दफ्तर या मेल के माध्यम से उनसे संपर्क कर सकते हैं. यह प्रशिक्षण प्रत्येक बेटी को लेना चाहिए, क्योंकि इससे उसका आत्मविश्वास बढ़ता है. वह आत्मरक्षा की टेक्निक सीखने से खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं. प्रशिक्षण पा चुकी लड़कियां उन्हें बताती हैं कि उन्होंने कैसे इसका इस्तेमाल कर मनचलों को सबक सिखाया.