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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की शुरू की बजट तैयारी, मीटिंगों का दौर शुरू

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर बजट की तैयारियां शुरू कर दी हैं. 1 फरवरी 2020 को पेश होने वाले बजट के लिए वित्त मंत्रालय ने विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात शुरू कर दी है. 2020-21 के आम बजट के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व परामर्श शुरू कर दिया है. इस क्रम में वित्त मंत्री ने सोमवार को दो महत्वपूर्ण बैठकें की. पहली बैठक में वित्त मंत्री ने डिजिटल इकोनामी फिनटेक और स्टार्टअप क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ परामर्श किया. इस बैठक में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने फाइनैंशल रेगुलेशन इज ऑफ डूइंग बिजनेस टैक्स संबंधी मुद्दों समेत कई अन्य मामलों पर चर्चा हुई.

इस बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर, वित्त सचिव राजीव कुमार, इकोनामिक अफेयर्स सचिव अतनु चक्रवर्ती, राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी सचिव अजय प्रकाश साहनी, डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम सचिव अंशु प्रकाश समेत वित्त मंत्रालय के तमाम वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे. वहीं, उद्योग क्षेत्र की तरफ से इस बैठक में विप्रो की तरफ से दीपक आचार्य, जिओ मोबाइल्स की तरफ से विशाखा सहगल, नैसकॉम की तरफ से आशीष अग्रवाल, उबर की तरफ से अमित बंसल, एप्पल की तरफ से विराट भाटिया समेत तमाम लोगों ने अपनी तरफ से सरकार को बजट संबंधी सुझाव दिए.

इसके अलावा बैठक के दूसरे हिस्से में वित्त मंत्री समेत तमाम अधिकारियों ने वित्तीय क्षेत्र और कैपिटल मार्केट से जुड़े प्रतिनिधियों से बजट पूर्व चर्चा की. बैठक के बाद फाइनेंस इंडस्ट्री डेवलपमेंट काउंसिल के को चेयरमैन रमन अग्रवाल ने कहा कि बैठक में हमने सुझाव दिया है कि हमारी बैंकिंग निर्भरता खत्म की जानी चाहिए. हमारी वित्तीय जरूरतों को बैंकिंग सिस्टम से बाहर किया जाए. नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों यानी एनबीएफसी के लिए फाइनेंस अलग से मकैनिज्म बनाया जाए. इसके लिए हमने सुझाव दिया है की हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन की तरह अलग से फंड का प्रावधान किया जाए. इसके अलावा एनबीएफसी को टैक्स पर टीडीएस में छूट नहीं मिलती है. इस संबंध में सुझाव दिया गया है की टैक्स पर टीडीएस में छूट मिलनी चाहिए.

प्री बजट कंसल्टेशन के बाद मुथूट ग्रुप के सीनियर जनरल मैनेजर राकेश मोहन दीवान ने बताया कि हमारी तरफ से सुझाव दिया गया है कि गोल्ड एनबीएफसी को सामान्य एनबीएफसी की ही तरह एक्स्पोज़र लिमिट मिलनी चाहिए. सामान्य एनबीएफसी की एक्स्पोज़र लिमिट 20 फ़ीसदी है जबकि गोल्ड एनबीएफसी के लिए यह सिर्फ 7.5 फीसदी है. हमारी तरफ से सुझाव दिया गया है कि सामान्य एनबीएफसी की ही तरह गोल्ड एनबीएफसी के लिए एक्स्पोज़र लिमिट को 20 फ़ीसदी किया जाए.

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