मुंबई। महाराष्ट्र में कांग्रेस और शिवसेना के साथ गठबंधन सरकार बनने के बाद तीनों दलों के बीजेपी और पीएम मोदी पर हमले तेज हो गए है. अब एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने पीएम मोदी पर हमला करते हुए किये खुलासे किये है. शरद पवार ने मीडिया से बातचीत में बीजेपी-एनसीपी गठबंधन और पीएम के दिए गए उनको ऑफर पर बडे खुलासे किए है. पवार ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री से दूसरे कारणों की वजह से मिला था. लेकिन इस दौरान प्रधानमंत्री ने उनसे साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई. लेकिन पवार ने यह बात भी स्पष्ट कर दी कि बातचीत के इस मुलाकात में पीएम ने एनडीए के साथ जुड़ने का स्पस्ट रूप से जिक्र नहीं किया था लेकिन मैं उनकी मंशा समझ गया था. कल पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने भी खुलासा किया था की पीएम मोदी ने उन्हें कैबिनेट मंत्री पद देने का ऑफर दिया था जिसे उन्होंने ठुकरा दिया था.
पीएम को पवार ने दिया था ये जवाब
पवार ने आगे कहा कि मैंने उनसे कहा कि हमने चुनाव एक-दूसरे के खिलाफ लड़ा था. प्रधानमंत्री मेरा मतलब समझ गए. सुप्रिया को दिल्ली में मंत्री पद दिए जाने के सवाल पर पवार ने कहा कि यह बात तो पिछले पांच साल से चल रही है. एनसीपी की आइडियोलॉजी पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि 1958 से मैं कांग्रेस का सदस्य रहा. मैंने कई पदों पर काम किया. दुर्भाग्य से हमने अलग-अलग पार्टियां बना लीं. महाराष्ट्र को लेकर हम पिछले 15 वर्षों से एकसाथ हैं.
गठबंधन में वैचारिक विरोधाभास पर पवार का जवाब
गठबंधन में वैचारिक विरोधाभास से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए शरद पवार ने कहा कि 2004 में ममता बनर्जी और जॉर्ज फर्नांडिस वाजपेयी सरकार में थे. दोनों ही बीजेपी की विचारधारा के खिलाफ थे. वाजपेयी ने उनसे कहा कि मैं अपनी पार्टी के मसले अलग रखता हूं और वाजपेयी ने सरकार चलाई.
उद्धव सरकार के रिमोट कंट्रोल पर बोले पवार
जब उनसे पूछा गया कि क्या महाराष्ट्र की उद्धव सरकार का रिमोट कंट्रोल शरद पवार के पास रहेगा तो उन्होंने साफ कहा कि नहीं निश्चित रूप से नहीं… कोई नियंत्रण नहीं. कोई रिमोट नहीं. जब उद्धव सीएम बने हैं, तो हमें उन्हें पूरा अधिकार देना है. शपथ ग्रहण के बाद से मैंने कुछ भी नहीं कहा है.
मंत्रालय के बंटवारे पर कोई झगड़ा नहीं है
मंत्रालय बंटवारे से जुड़े सवाल पर पवार ने कहा कि एनसीपी और शिवसेना के बीच कोई झगड़ा नहीं है. यह कांग्रेस और एनसीपी के बीच है. एनसीपी के पास सेना से दो कम और कांग्रेस से 10 सीट ज्यादा है. शिवसेना के पास मुख्यमंत्री और कांग्रेस के पास स्पीकर. मेरी पार्टी को क्या मिला. डिप्टी सीएम के पास कोई अधिकार नहीं होता.
सरकार गठन से लेकर अजीत पर पहली बार खुल कर बोले पवार
सरकार गठन पर बात करते हुए शरद पवार ने कहा कि शुरुआत में एनसीपी विपक्ष में बैठने के पक्ष में थी. लेकिन जब सेना ने जब यह कहना शुरू किया कि बीजेपी अपनी बात का मान नहीं रख रही तो मुझे महसूस हुआ कि अब सेना वापसी के मूड में नहीं है. मैं जानता हूं कि सेना ने अगर एक बार गठबंधन तोड़ने का मन बना लिया तो उस फैसले पर अडिग रहेगी.
अजित पवार के अलग फैसले को लेकर उन्होंने कहा कि फडणवीस के साथ अजित का शपथ लेना मेरे लिए झटका था. सबसे पहले मैंने अपने संसाधनों का इस्तेमाल कर सारे विधायक वापस इकट्ठा किए. विधायकों को बताया गया था कि अजित के इस कदम को मेरा समर्थन है, लेकिन मेरा उस कदम में कोई हाथ नहीं था.
जब उनसे पूछा गया कि अजित पवार ने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि मुझे लगता है कि अजित पवार ने अपने आकलन के कारण बीजेपी के साथ जाने का फैसला किया होगा कि गठबंधन बन नहीं पाएगा. हालांकि अब अजित पवार परिवार में वापस आ चुके हैं. अजित पवार के पद को लेकर फैसला अभी बाद में होना है. अजित पवार एक मजबूत नेता हैं. उन्होंने पार्टी के लिए कठिन मेहनत की है. वे कार्यकर्ताओं के साथ खड़े रहे हैं. उन्होंने अपनी गलती मान ली है.
एनसीपी चीफ ने इसका कारण भी बताया कि उन्होंने बीजेपी के ऊपर शिवसेना को क्यों तरजीह दी. पवार ने कहा कि बीजेपी के मुकाबले शिवसेना के साथ गठबंधन उतना कठिन नहीं है. उन्होंने माना कि पार्टी पर भतीजे अजित पवार की पकड़ मजबूत है, लेकिन क्या वह डेप्युटी सीएम बनेंगे, इसका जवाब देने से इनकार किया.