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वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी, नासा ने की चांद यूरोपा की सतह पर पानी होने की पुष्टि

वाशिंगटन। अनगिनत रहस्यों को खुद में समेटे ब्रह्मांड हमेशा से अंतरिक्ष विज्ञानियों के लिए जिज्ञासा का विषय रहा है। दुनियाभर के वैज्ञानिक निरंतर नई खोजों के आधार पर इनके रहस्यों पर से पर्दा उठाने में प्रयासरत हैं। इसी कड़ी में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। अध्ययन के आधार पर नासा ने पहली बार इस बात की पुष्टि की है कि बृहस्पति के चांद यूरोपा की सतह के ऊपर जलवाष्प मौजूद है। यह एक ऐसी खोज है, जो इस बात का समर्थन करती है कि बृहस्पति के चांद की मीलो मोटी बर्फ की परत के नीचे पानी की तरल अवस्था में महासागर मौजूद है।

यह अध्ययन नेचर एस्ट्रोनॉमी नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है। अमेरिका के हवाई स्थित डब्ल्यू.एम. केक ऑब्जर्वेटरी में यूरोपा पर मौजूद जलवाष्प को मापा गया है। गौरतलब है कि नासा पृथ्वी से बाहर जीवन की खोज में प्रयासरत है। इस क्रम में जारी बाहरी सौरमंडल से जुड़े अभियानों के क्रम में नासा के वैज्ञानिकों ने यूरोपा के बारे में काफी जानकारी एकत्र कर ली है। इससे अब यह जीवन की खोज अभियान में नासा के लिए उच्च प्राथमिकता वाला लक्ष्य बन गया है।

जीवन की संभावना बनाती है आकर्षक

अमेरिका में नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के शोधकर्ताओं का कहना है कि जीवन की संभावना ही इस चांद को इतना आकर्षक बनाती है। यहां जीवन के लिए आवश्यक सभी चीजें मौजूद हो सकती हैं। वैज्ञानिकों के पास इस बात का सुबूत है कि इन आवश्यक चीजों में से एक (तरल अवस्था में जल) इसकी बर्फीली सतह के नीचे मौजूद है और कभी-कभी यह अंतरिक्ष में विशाल गीजर के रूप में जा सकता है।

हालांकि, नासा ने एक बयान में कहा है कि अभी तक किसी ने भी इस पर पानी के अणु को माप कर यहां पानी के मौजूद होने की पुष्टि नहीं की है। साथ ही अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का यह भी कहना है कि यूरोपा की सतह के ऊपर जलवाष्प की पुष्टि वैज्ञानिकों को इस चांद के आंतरिक हिस्से के कामकाज को बेहतर ढंग से समझने में मददगार साबित हो सकती है।

उदाहरण के तौर पर यह वैज्ञानिकों के उस विचार का समर्थन करती है कि यहां तरल अवस्था में पानी का महासागर मौजूद है। संभावना यह भी है कि यूरोपा की सतह पर जमी बर्फ के नीचे मौजूद महासागर में पानी की मात्रा धरती पर उपलब्ध जल से दोगुनी हो।

एक मत यह भी है

यूरोपा को लेकर वैज्ञानिकों में और भी कई मत हैं। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि पिघली हुई बर्फ का पानी इसकी सतह के बहुत ज्यादा नीचे नहीं, बल्कि कम गहराई पर ही मौजूद है। वहीं, एक संभावना यह भी जताई गई है कि बृहस्पति का मजबूत विकिरण क्षेत्र यूरोपा के बर्फ के गोले से पानी के कणों को छीन रहा है।

हालांकि, हालिया जांच इस मत के विरुद्ध जाती है। यूरोपा पर पानी की जांच का नेतृत्व करने वाले नासा के वैज्ञानिक लुकास पगनिनी का कहना है कि जीवन की तीन आवश्यकताओं में से दो रासायनिक तत्व (कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फास्फोरस और सल्फर) और ऊर्जा के स्रोत सभी सौर प्रणाली में पाए जाते हैं, लेकिन तीसरी सबसे जरूरी चीज यानी तरल पानी की मौजूदगी कुछ हद तक कठिन होती है।

हालांकि, अभी तक यूरोपा पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन जलवाष्प की पुष्टि इस दिशा में उम्मीद की किरण जलाती है और हमारे जीवन की खोज अभियान को आगे बढ़ाती है।

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