लखनऊ। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आ चुका है. अयोध्या में यह विवाद सदियों से चला आ रहा था. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन का मालिक रामलला विराजमान को माना है. जबकि सुन्नी वफ्फ बोर्ड को कोर्ट ने अयोध्या में ही अलग जगह 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है.
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिया व सुन्नी धर्मगुरुओं का एक प्रतिनिधिमंडल मिलने पहुंचा था . इस प्रतिनिधिमंडल ने सीएम योगी के समक्ष अपनी कुछ मांगें रखीं. जानकारी के मुताबिक मुस्लिम धर्मगुरुओं ने सरकार से अयोध्या में मस्जिद के लिए ऐसी जगह जमीन मांगी है, जहां इस्लामिक यूनिवर्सिटी भी बन सके. इसके साथ ही इस प्रतिनिधिमंडल ने अयोध्या पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रदेश में शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सीएम को बधाई भी दी.
इस मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने भी मुस्लिम धर्मगुरुओं को शांति की अपील व आपसी सौहार्द बनाने में सहयोग के लिए बधाई दी. सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार किसी के साथ भेदभाव नहीं करेगी. बताया जा रहा है कि योगी से मुलाकात के दौरान नदवा कॉलेज के मौलाना सलमान हुसैन नदवी ने इस्लामिक यूनिवर्सिटी की मांग रखी थी . प्रतिनिधिमंडल में मौलाना हमीदुल हसन, मौलाना सलमान हुसैन नदवी, मौलाना फरीदुल हसन, मौलाना यूसुफ हुसैनी भी शामिल थे.
इससे पहले भी मुस्लिम धर्मगुरुओं से मिले थे योगी
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुस्लिम धर्मगुरु और उलेमाओं से मुलाकात की थी. कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम धर्मगुरुओं और उलेमाओं के साथ सीएम योगी की वह पहली मुलाकात थी. अल्पसंख्यक मंत्री मोहसिन रजा भी उस बैठक में शामिल थे. गौरतलब है कि सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि फैसले से हिंदू-मुसलमानों के बीच दूरी ना बढ़े. दरअसल, उत्तर प्रदेश के कई इलाके संवेदनशील हैं.
डोभाल के घर भी हुई थी मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ बैठक
इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के आवास पर कई धर्मगुरुओं के नेताओं की बैठक हुई थी. इस बैठक में हिंदू पक्ष की ओर से बाबा रामदेव, स्वामी परमात्मानंद, अवधेशानंद गिरी मौजूद थे. जबकि मुस्लिम पक्ष की ओर से जमीयत-ए-उलेमा हिंद के चीफ महमूद मदनी, शिया धर्मगुरु कल्बे जव्वाद शामिल रहे. इनके अलावा कई दूसरे धर्मों के प्रतिनिधि भी यहां मौजूद रहे.