8 नवंबर यानि आज देवोत्थान एकादशी है. इस दिन श्रीहरि विष्णु और उनके अवतारों की पूजा की जाती है. आज श्रीहरि जागेंगे और करेंगे अपनी प्रिय तुलसी से विवाह, आज से ही होगा हर कार्य का शुभारंभ. विवाह के शुभ मुहूर्त 19 नवंबर से शुरू होंगे। मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल हरिशयन एकादशी पर भगवान चार महीने के लिए शयन करने चले जाते और देवोत्थान एकादशी पर जागते हैं।
विधि विधान से श्रीहरि को जगाया जाएगा
प्रबोधनी एकादशी पर शुक्रवार को भगवान को पूरे विधि-विधान से भक्त जगाएंगे। दिनभर श्रद्धालु उपवास में रहेंगे। भगवान को जगाने के लिए आंगन में ईखों का घर बनाया जाएगा। चार कोने पर ईख और बीच में एक लकड़ी का पीढ़ा रखा जाएगा। आंगन में भगवान के स्वागत के लिए अरिपन(अल्पना) की जाएगी। पीढ़े पर भी अरिपन की जाएगी। शाम में इस पर शालिग्राम भगवान को रखकर उनकी पूजा की जाएगी। वेद मंत्रोच्चार के साथ भगवान को भक्त जगाएंगे। कम से कम पांच श्रद्धालु मिलकर भगवान को जगाएंगे।
शालिग्राम के संग तुलसी का विवाह
प्रबोधनी एकादशी ही वृंदा (तुलसी) के विवाह का दिन है। तुलसी का भगवान विष्णु के साथ विवाह करके लग्न की शुरुआत होती है। आचार्य प्रियेन्दु प्रियदर्शी के अनुसार वृंदा के श्राप से भगवान विष्णु काले पड़ गए थे। उन्हें शालिग्राम के रूप में तुलसी की चरणों में रखा जाएगा। ज्योतिषी ई.प्रशांत कुमार के मुताबिक तुलसी की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। इसलिए हर घर में तुलसी विवाह को अधिक महत्व दिया जाता है। तुलसी विवाह शालिग्राम में पूरे रीति रिवाजों सहित किया जाता है। तुलसी विवाह के दौरान कन्या दान भी किया जाता है, क्योंकि कन्या दान को सबसे बड़ा दान माना गया है।