नई दिल्ली। तीस हजारी अदालत में शनिवार को पार्किंग विवाद को लेकर वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच हुए संघर्ष के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्पेशल सीपी संजय सिंह और अतिरिक्त डीसीपी हरिंदर सिंह को जांच पूरी होने तक स्थानांतरित करने के आदेश दिए हैं। रविवार हुई मामले की सुनवाई में कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि पहले पीड़ितों का बयान दर्ज किया और फिर एफआईआर दर्ज की जाए। इसके अलावा वकीलों को क्रमश: 50 हजार, 25 हजार और 10 हजार रुपए की अनुग्रह राशि देने का भी आदेश दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने छह सप्ताह के भीतर न्यायिक जांच कराने के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एस पी गर्ग को नियुक्त किया है।
वकीलों और पुलिस के बीच हुई झड़प के मामले में चार प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की गई हैं। चारों प्राथमिकी उत्तरी दिल्ली के सब्जी मंडी थाना इलाके में दर्ज हुई है। एक एफआईआर जिला जज ने भी दर्ज कराई है। दिल्ली पुलिस प्रवक्ता अनिल मित्तल ने रविवार को इस बात की पुष्टि की। पहली प्राथमिकी तीस हजारी अदालत के जिला जज की तरफ से कराई गई। जिला जज द्वारा कराई गई प्राथमिकी में कहा गया है कि शनिवार को दोपहर बाद पुलिस और वकीलों में झगड़ा हुआ। दोनों ही पक्षों द्वारा माहौल बिगाड़े जाने के चलते अदालत की गरिमा को ठेस पहुंची।
अदालत परिसर में घटना के समय मौजूद सैकड़ों विचाराधिन कैदियों और अन्य तमाम बेकसूरों को बेवजह परेशान होना पड़ा। पूरे घटनाक्रम की जांच की मांग जिला जज द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी के आधार पर की गई है। पुलिस प्रवक्ता के मुताबिक, दूसरी प्राथमिकी एक घायल वकील के बयान पर दर्ज की गई है और तीसरी प्राथमिकी तीसहजारी अदालत में कैदियों की सुरक्षा में तैनात और हमले में घायल दिल्ली पुलिस की तीसरी वाहिनी के एक कर्मचारी द्वारा दर्ज कराई गई।
चौथी व अंतिम प्राथमिकी तीसहजारी अदालत की ही एक महिला वकील द्वारा दर्ज कराई गई है। महिला वकील ने खुद पर हमला किए जाने और अज्ञात लोगों द्वारा छेड़छाड़ किए जाने का आरोप लगाया है। मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की एसआईटी ने चारों प्राथमिकी और झगड़े में घायल हुए लोगों की मेडिकल रिपोर्ट्स भी कब्जे में ले ली है। गोली से घायल वकील के मामले में एसआईटी सीएफएसएल की जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।