नई दिल्ली। कालेधन पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार नोटबंदी के बाद एक और बड़ा कदम उठा सकती है. पीली धातु के रूप में कालेधन को बाहर निकालने के लिए सरकार जल्द ही गोल्ड एम्नेस्टी स्कीम ला सकती है.
ऐम्नेस्टी स्कीम के तहत जमाखोरों को अपने पास मौजूद सोने का ऐलान करना होगा और बिना बिल वाले सोने पर टैक्स भी चुकाना होगा. उस व्यक्ति को बिना रसीद के खरीदे गए सोने की पूरी कीमत पर टैक्स देना होगा. हालांकि, अभी ये तय नहीं है कि टैक्स की दर क्या होगी. लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टैक्स की दर 30 फीसदी हो सकती है. सेस जोड़कर ये दर 33 फीसदी हो सकती है.
नई स्कीम को लाखों करोड़ों रुपये की काली कमाई करने वालो पर बड़ा प्रहार माना जा रहा है. बताया जा रहा है कि सोने के रूप में लाखों करोड़ रुपये का कालाधन है, जिसे सरकार सिस्टम से निकालना चाहती है. नोटबंदी के बाद सरकार ने साल 2017 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) लॉन्च की थी. इस योजना को IDS II के नाम से भी जाना जाता है.
क्या है चुनौती?
एक विश्लेषक ने कहा, “गोल्ड ऐम्नेस्टी स्कीम का विचार अच्छा है लेकिन इसको लागू करना मुश्किल है. लोगों ने सोने को लंबे समय से अपने पास रखा है और कई मौकों पर विरासत में भी मिलता है. इनका बिल मिलना मुश्किल है. लोगों पर दबाव डालना मुश्किल है.”
विश्लेषक के मुताबिक, एक डर यह भी है कि सोने की घोषणा के बाद लोगों को टैक्स अधिकारियों का शोषण भी झेलना पड़ सकता है.
देश में कितना सोना है?
एक अनुमान मुताबिक, भारतीयों के पास मौजूद सोने का स्टॉक कुल 20,000 टन है. अगर गलत तरीके से आयात किए गए और पैतृक होल्डिंग्स को भी जोड़ लिया जाए, तो सोने का स्टॉक 25,000-30,000 टन होना चाहिए. मौजूदा कीमतों के अनुसार, इस सोने की कीमत $1 ट्रिलियन से $1.5 ट्रिलियन होगी.