नई दिल्ली: रिलायंस जियो ने कहा है कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा इंटरकनेक्शन प्रयोगकर्ता शुल्क (आईयूसी) की समीक्षा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल इंडिया की सोच के खिलाफ है. जियो ने कहा कि आईयूसी को खत्म करने की समयसीमा से किसी भी प्रकार छेड़छाड़ मनमाना, प्रौद्योगिकी विरोधी, कानूनी रूप से कमजोर, अनुचित और गरीब विरोधी है.
ट्राई पर निशाना साधते हुए मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस जियो ने कहा कि आईयूसी पर उसके रवैये से नियामक की विश्वसनीयता पर असर पड़ेगा. साथ ही दूरसंचार क्षेत्र के निवेशकों का भरोसा भी डगमगाएगा. जियो ने दावा किया कि एक जनवरी, 2020 की लागू करने की की तारीख में किसी तरह के बदलाव से मुफ्त कॉल का दौर समाप्त हो जाएगा और शुल्कों में इजाफा होगा. यह उपभोक्ता हित में नहीं होगा.
किसी दूसरी कंपनी के नेटवर्क पर अपने ग्राहक के कॉल को पूरा करने के लिए दूरसंचार ऑपरेटर को भुगतान करना पड़ता है. इसे आईयूसी कहते हैं जो फिलहाल छह पैसे प्रति मिनट है. ट्राई द्वारा आईयूसी को समाप्त करने की समयसीमा को जनवरी, 2020 से आगे बढ़ाने के लिए समीक्षा की जा रही है. इस वजह से जियो ने अपने ग्राहकों पर छह पैसे प्रति मिनट का शुल्क लगा दिया है.
जियो ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के विजन के मुताबिक, डिजिटल ढांचा देश के हर नागरिक का हक है. कुछ दूरसंचार ऑपरेटर चाहते हैं कि पुराना पड़ चुका 2जी का नेटवर्क हमेशा बना रहे. देश के 47 करोड़ से ज्यादा ग्राहक जो 2जी नेटवर्क से जुड़े हैं वह डिजिटल क्रांति के लाभ से वंचित रह जाएं.
जियो ने कहा कि ट्राई द्वारा इस पर परिचर्चा पत्र जारी करना इन आपरेटरों के निहित स्वार्थों को बचाने का प्रयास है. जियो ने कहा कि कुछ ऑपरेटरों के पास 2जी नेटवर्क से 4जी में अपग्रेड नहीं करने के कई बहाने हैं. ये ऑपरेटर 2जी ग्राहकों से वॉयस कॉलिंग का शुल्क वसूलते हैं जबकि जियो के 4जी नेटवर्क पर यह नि:शुल्क है. खराब क्वालिटी और ऊंची कीमतों के डेटा की वजह से 2जी ग्राहक डिजिटल सोसायटी का हिस्सा भी नहीं बन पा रहे हैं.