नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर की हवा हर साल की तरह इस बार भी दमघोंटू न हो इसके लिए सरकार ने कमर कस ली है। 15 अक्तूबर से कड़े प्रतिबंधों वाला ग्रेडेड रिस्पांस सिस्टम लागू करने का फैसला किया गया है तो वहीं, प्रदूषण फैलाने वालों पर तत्काल कार्रवाई करने के लिए छापामार टीमें गठित की गई हैं।
निगरानी शुरू: केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को कहा कि केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 47 टीमें औचक निरीक्षण करेंगी। 29 नए वायु गुणवत्ता निगरानी केन्द्र खोले जा रहे हैं ताकि हर इलाके की तुरंत और सटीक जानकारी मिल सके। दिल्ली, यूपी, राजस्थान, हरियाणा व उत्तराखंड के पर्यावरण मंत्रियों की अगले हफ्ते बैठक बुलाई गई है। इसमें पराली जलाने की स्थिति की समीक्षा की जाएगी।
प्रदूषण 80 फीसदी घटा : केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि पेरीफेरल रोड बनने और संशोधित मोटर वाहन कानून लागू होने से एनसीआर में प्रदूषक कणों की मात्रा में 80 फीसदी तक की कमी आई है। उन्होंने कहा कि प्रदूषण मुक्ति अभियान को और तेज किया जाएगा। जावड़ेकर ने पटाखे न जलाने की अपील करते हुए कहा कि अगर जरूरी तो सिर्फ हरित पटाखे ही खरीदें। उधर, पर्यावरण प्रदूषण निवारक प्राधिकरण (इपका) ने भी प्रदूषण फैला रही इकाइयों पर सख्त कार्रवाई करने समेत कई निर्देश दिए।
तीन कदम
– सीपीसीबी का छापामार दस्ता प्रदूषण फैलाने वालों पर तुरंत कार्रवाई करेगा, राज्यों में पराली जलाने पर रोक लगेगी
– 15 अक्तूबर से दिल्ली-एनसीआर में डीजल जनरेटर चलाने पर रोक रहेगी, एनसीआर में 19 जगहों पर विशेष निगरानी
– चार से 15 नवंबर तक सम-विषम योजना लागू। लोगों को मॉस्क भी बांटे जा रहे हैं
इस बार हरित पटाखे
– पहली बार हरित पटाखे उतारे गए हैं। इनसे 30% तक कम प्रदूषण होता है। ये सस्ते भी हैं।
– रावण-कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों में भी हरित पटाखे लगाए गए हैं। कई जगह साउंड इफेक्ट का इस्तेमाल
कितनी सुधरी हवा
तब : 2016
सिर्फ 108 दिन दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता बेहतर थी
अब : 2019
इस साल सितंबर तक 270 दिनों में 160 दिन हवा साफ रही
चुनौतियां
आईआईटी दिल्ली के सहयोग से सात प्रदूषण वाले क्षेत्रों की पहचान की गई है। ये क्षेत्र वजीराबाद, मायापुरी, ओखला, फरीदाबाद 1-2, साहिबाबाद और उद्योग विहार हैं। यहां कच्ची सड़कों, औद्योगिक उत्सर्जन व अनियमित पार्किंग से प्रदूषण है।