देश

इस बार बारिश ने 25 साल का रिकॉर्ड तोड़ा, मानसून के कहर से 1685 मौतें

नई दिल्‍ली। इस साल मानसून के बिगड़े मिजाज से देश में जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। आलम यह है कि वापसी के दौरान भी देश के कई राज्‍यों में भारी बारिश और बाढ़ से हाल बेहाल हैं। बिहार की राजधानी पटना में जलभराव से त्राहिमाम मचा है, वहीं पूर्वी उत्‍तर प्रदेश में हालात बदतर हो चले हैं। बिहार के कई जिलों में आई बाढ़ के आगे सरकार भी बेबस नजर आ रही है। पटना के कई इलाकों में सड़कों पर छह से सात फुट तक पानी जमा है और राहत सामग्री पहुंचाने के लिए हेलिकॉप्‍टरों की मदद ली जा रही है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, इस मानसूनी बारिश ने देश में बीते 25 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। आइये जानें इस साल मानसून ने देश की अर्थव्‍यवस्‍था को कितना प्रभावित किया है…

14 राज्‍य बुरी तरह प्रभावित

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, मानसूनी बारिश से देश के कुल 14 राज्‍य बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इन राज्‍यों में इस साल कुल 1685 लोगों की मौत मानसूनी बारिश के चलते हादसों में हुई है। महाराष्‍ट्र में सबसे ज्‍यादा 377, पश्चिम बंगाल में 225 और मध्‍य प्रदेश में 180 लोगों की मौत हुई है। वहीं गुजरात में 150, बिहार में 130 और कर्नाटक में 105 लोगों की मौत बारिश और बाढ़ जनित हादसों में हुई है। यही नहीं मानसून की शुरुआत से लेकर अब तक पूर्वोत्‍तर के साथ साथ दक्षि‍णी राज्‍यों में लगभग 22 लाख लोगों को सुरक्ष‍ित स्‍थानों पर ले जाया गया है।

1994 के बाद पहली बार इतनी तगड़ी बारिश

मौसम विभाग के अधिकारियों की मानें तो जून से सितंबर के बीच में मानसून की जितनी बारिश हुई वह बीते 50 वर्षों की तुलना में 10 फीसदी ज्‍यादा है। विदा होते मानसून ने उत्‍तरी यूपी और बिहार में जमकर तबाही मचाही है। बीते शुक्रवार से अब तक 144 लोगों की मौत हो चुकी है। सरकार के आंकड़े बताते हैं कि महाराष्‍ट्र और उत्‍तर प्रदेश में दीवारें और इमारतों के जमींदोज होने की घटनाओं में ही 371 लोग जान गवां चुके हैं। इस साल मानसून सीजन में असम, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश बाढ़ की तगड़ी मार पड़ी वहीं देश का एक बड़ा हिस्सा सूखे की चपेट में रहा। आंकड़े बताते हैं कि साल 1994 के बाद पहली बार इतनी तगड़ी बारिश दर्ज की गई है।

उत्तर प्रदेश में 800 से अधिक घर तबाह

आंकड़ों के मुताबिक, भारी बारिश ने भारत के सबसे अधिक आबादी वाले पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में 800 से अधिक घरों को तबाह कर दिया है जबकि 100 से ज्‍यादा मवेशियों की मौत हो गई है। यूपी में ही लगभग 14 वर्ष से पानी के लिए तरस रही तमसा नदी इस बार उफान पर है। इसकी बाढ़ में लगभग 50 हजार की आबादी घिर गई है। वहीं यूपी में गंगा और यमुना की बाढ़ ने भी तबाही मचा रखी है। इन नदियों की बाढ़ से लगभग 55 हजार बीघा फसल नष्‍ट हो चुकी है। इससे करोड़ों रुपये के नुकसान होने का अनुमान है। वहीं मौसम विभाग के आंकड़ों की मानें तो दक्षिण पश्चिम मानसून ने कर्नाटक में 23 फीसदी ज्‍यादा बारिश हुई है।

110 फीसद ज्‍यादा बरसा मानसून 

आंकड़े बताते हैं कि साल 1994 के बाद इस बार देशभर में मानसून सामान्य से 110 फीसद ज्‍यादा बरसा है। हरियाणा, दिल्ली और चंडीगढ़ में सामान्य से 42 फीसद कम बारिश दर्ज की गई है। यही नहीं पूर्वोत्तर भार में 2001 से लेकर अब तक सामान्य से कम बरसात हुई है। मौसम विशेषज्ञों की मानें तो देश में हाल के दशकों में जलवायु परिवर्तन, वनों की अंधाधुंध कटाई और तालाबों पर अतिक्रमण के चलते बाढ़ आने की घटनाओं में इजाफा हुआ है। इस मानसून सीजन में अगस्त और सितंबर में 130 फीसदी बारिश दर्ज की गई है जो वर्ष 1983 के बाद एक रिकॉर्ड है।

हर साल 1600 मौतें 

संयुक्‍त राष्‍ट्र की रिपोर्ट कहती है कि भारत उन पांच शीर्ष देशों में शामिल है जिन पर प्राकृतिक आपदाओं की मार विश्‍व में सर्वाधिक पड़ती है। रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल भारत में इन आपदाओं से 1600 लोगों की मौत हो जाती है जबकि 1800 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान होता है। केंद्र सरकार का मौजूदा आंकड़ा भी इसकी तस्‍दीक कर देता है। यही नहीं साल 1998 से लेकर साल 2017 के बीच भारत को बाढ़, सूखा और तूफान जैसी प्रा‍कृतिक आपदाओं के कारण 80 अरब डॉलर का भारी नुकसान हुआ है।  

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com