हैदराबाद के 7वें निजाम मीर उस्मान अली खान के खजाने को लेकर ब्रिटेन के एक हाईकोर्ट ने 70 साल से चल रहे मामले पर भारत के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने पाकिस्तान को झटका देते हुए अपने फैसले में यह साफ तौर पर कहा कि लंदन के बैंक में जमा निजाम की रकम पर भारत और निजाम के उत्तराधिकारियों का हक है.
अब ब्रिटेन के लंदन स्थित नेटवेस्ट बैंक में रखे करीब 35 मिलियन पाउंड (करीब 3 अरब 8 करोड़ 40 लाख रुपये) निजाम के वंशज प्रिंस मुकर्रम जाह और उनके छोटे भाई मुफ्फखम जाह को मिलेंगे. अब ब्रिटेन के लंदन स्थित नेटवेस्ट बैंक में रखे करीब 35 मिलियन पाउंड (करीब 3 अरब 8 करोड़ 40 लाख रुपये) निजाम के वंशज प्रिंस मुकर्रम जाह और उनके छोटे भाई मुफ्फखम जाह को मिलेंगे.
इस भारी-भरकम रकम पर भारत का समर्थन करने वाले निजाम के वंशज प्रिंस मुकर्रम जाह और उनके छोटे भाई मुफ्फखम जाह दावा करते तो थे ही साथ ही पाकिस्तान भी इस संपत्ति पर दावा करता रहा है. लेकिन पाकिस्तान को इस मामले में झटका तब लगा जब लंदन के रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस के जज मार्कस स्मिथ ने फैसला सुनाया. उन्होंने अपने फैसले में कहा कि हैदराबाद के 7वें निजाम उस्मान अली खान इस फंड के मालिक थे और अब निजाम के बाद बाद उनके वंशज और भारत इस संपत्ति के दावेदार हैं.
गौरतलब है कि हैदराबाद के तत्कालीन निजाम ने 1948 में ब्रिटेन में पाकिस्तान के उच्चायुक्त को ये रकम भेजी थी. जो पिछले 70 साल से लंदन के नेटवेस्ट बैंक में रखी हुई थी. हैदराबाद के निजाम की ओर से मुकदमा लड़ रहे पॉल हेविट ने कहा, ‘हैदराबाद के 7वें निजाम की संपत्ति के लिए उनके वंशजों के उत्तराधिकार को स्वीकार किया है. यह विवाद 1948 चला आ रहा था. कोर्ट के फैसले से हम खुश हैं.’