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अयोध्या के संबंध में हिंदुओं की आस्था पर सवाल उठाना मुश्किल- SC

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अयोध्या मामले (Ayodhya Case) पर लगातार सुनवाई चल रही है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि सुनवाई पूरी होने तक अदालत हफ्ते में तीन दिन एक घंटे ज्यादा बैठेगी. बता दें पहले ही कोर्ट ने साफ कर दिया था कि मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए एक घंटे ज्यादा बैठना पड़े तो कोर्ट बैठेगी. ऐसे में अब अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को सुबह 10.30 से शाम 5 बजे तक सुनवाई करेगा.

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि भगवान राम के जन्म स्थान के तौर पर अयोध्या के संबंध में हिंदुओं की आस्था पर सवाल उठाना मुश्किल होगा क्योंकि कुछ मुस्लिम गवाहों ने भी इसे हिंदुओं के लिए उतना ही पवित्र बताया है, जितना उनके लिए मक्का है.

राजीव धवन से किया सवाल
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन से सवाल कर रहे थे कि क्या किसी देवत्व और किसी प्रतिमा या देवता का ‘‘मूर्त रूप’’ उसे ‘‘न्यायिक व्यक्ति’’ ठहराने के लिए आवश्यक है.

पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबड़े, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं. पीठ ने कहा, ‘‘यहां तक कि मुकदमे के दौरान मुस्लिम गवाहों ने भी कहा कि अयोध्या हिंदुओं के लिए उतना ही पवित्र है,जितना उनके लिए मक्का. हिंदुओं की आस्था का खंडन करना मुश्किल होगा.’’

‘केवल आस्था मालिकाना हक का दावा करने का अधार नहीं हो सकती’
सुन्नी वक्फ बोर्ड (Sunni Waqf Board) और मूलवादी एम सिद्दीक समेत अन्य की ओर से पेश हुए धवन ने कहा कि केवल आस्था मालिकाना हक का दावा करने और ‘जन्मस्थान’ को न्यायिक व्यक्ति का दर्जा देने का आधार नहीं हो सकती. हालांकि, उन्होंने राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले की सुनवाई के 29वें दिन भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में भगवान राम और अल्लाह को सम्मान देने की पुरजोर वकालत की.

वरिष्ठ वकील ने कहा, ‘‘अगर भगवान राम और अल्लाह का सम्मान नहीं किया जाता तो यह महान देश विभाजित हो जाएगा.’’ लेकिन उन्होंने ‘राम लला विराजमान’ की ओर से दायर मुकदमे में जन्मस्थान को पक्षकार बनाने के कदम पर आपत्ति जताई. पीठ इस मामले पर मंगलवार को भी सुनवाई जारी रखेगी.

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