प्रयागराज। राजस्थान से पानी छोड़े जाने के बाद खतरे के निशान के पार पहुंचीं गंगा-यमुना के बढ़ने की रफ्तार कम हो गई है। हालांकि तटवर्ती इलाकों में गुरुवार को भी कई बस्तियां बाढ़ की चपेट में आ गईं। हजारों घरों में पानी घुस जाने के कारण लोगों को सामान लेकर राहत शिविरों या अन्य सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा। हालांकि सिंचाई बाढ़ खंड के विशेषज्ञों ने अगले 48 घंटे में दोनों नदियों के स्थिर होने का अनुमान लगाया है। इस बीच डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने डीएम के साथ बाढ़ग्रस्त इलाकों का हेलीकॉप्टर से हवाई जायजा लिया और राहत-बचाव कार्य तेज करने के निर्देश दिए।
गुरुवार शाम छह बजे तक गंगा खतरे के निशान से 51 सेमी व यमुना 37 सेमी ऊपर बह रही है। गंगा डेढ़ सेमी व यमुना एक सेमी प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ रही हैं। उधर, औरैया में यमुना के स्थिर होने की जानकारी मिली है, जबकि हमीरपुर में यमुना दो सेमी प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ रही हैं। औरैया में यमुना के स्थिर होने से सिंचाई विभाग के अभियंताओं का अनुमान है कि अब अगर फिर से किसी बांध से बड़ी जलराशि नहीं छोड़ी गई या फिर ऊपरी हिस्से में भारी बारिश न हुई तो शनिवार की सुबह तक दोनों नदियों का जल स्तर स्थिर हो सकता है।
वहीं उप मुख्यमंत्री ने बाढ़ पीड़ितों को समय से और जरूरत के अनुसार राहत सामग्री उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने अफसरों को निर्देश दिया कि बाढ़ क्षेत्र में घरों में फंसे लोगों को भी हर संभव राहत सामग्री पहुंचाई जाए। इसमें किसी तरह की लापरवाही क्षम्य नहीं होगी। गंगा-यमुना में वर्ष 2013, 2016 या फिर 1978 जैसे बाढ़ के खतरे की जताई गई आशंका टलती नजर आने लगी है। राजस्थान के धौलपुर और कोटा बांधों से छोड़ी गई भारी जलराशि के कारण गुरुवार तक बाढ़ का खतरा कछार से आगे शहर के भी कुछ हिस्सों तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन अब वैसी चिंता नहीं रह गई है। नहरों व अन्य माध्यमों से राजस्थान के पानी को कई जगह डायवर्ट किए जाने से यमुना का वेग काफी कम हो गया है। चंबल नदी का जलस्तर तेजी से घटने और औरैया में यमुना के स्थिर होने के बाढ़ के बढ़ते दायरे पर लगाम लगने के संकेत मिले हैं।
गंगा-यमुना के जलस्तर में वृद्धि गुरुवार की रात आठ बजे एक से डेढ़ सेमी के बीच रहा। गंगा एक सेमी और यमुना डेढ़ सेमी प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ती रही। सिंचाई विभाग के अभियंताओं के अनुसार राजस्थान में चंबल तेजी से घट रही है। इससे अब यमुना में चंबल से पानी आना बंद हो गया है। इसके अलावा बीते सोमवार को राजस्थान के धौलपुर और कोटा बांधों से छोड़े गए 16 लाख क्यूसेक पानी के बृहस्पतिवार तक यहां पहुंचने की बात कही गई थी। प्रशासन ने अनुमान लगाया था कि राजस्थान के पानी के दबाव से यहां यमुना खतरे के निशान से दो मीटर ऊपर 86 से 87 मीटर के जल स्तर तक जा सकती है, लेकिन गुरुवार की रात तक यमुना में डेढ़ सेमी प्रति घंटा की वृद्धि दर्ज होने से बाढ़ की भयावहता के काफी कम होने की उम्मीद बन गई है।
कहा जा रहा है कि इस भारी जल राशि को छोड़े जाने के बाद अलर्ट जारी होने के साथ ही ऊपरी हिस्से में नहरों व नालों में पानी डायवर्ट किया जाने लगा था। इससे जल दबाव कम करने में काफी हद तक सफलता मिली है। कहा जा रहा है कि औरैया के बाद शुक्रवार को हमीरपुर में भी जलस्तर स्थिर हो सकता है। ऐसे में शनिवार की दोपहर तक यहां अगर इसी रफ्तार से गंगा-यमुना के जलस्तर में वृद्धि जारी रही तो अब बाढ़ का दायरा शहरी इलाकों में फैलने से पहले ही सिमटने लगेगा। बाढ़ का दायरा बढ़ने के साथ मंडलायुक्त, डीएम, एसएसपी तथा अन्य अफसरों ने बृहस्पतिवार को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। उन्होंने गंगा और यमुना नदी में बढ़ते जल स्तर के साथ राहत कार्यों का भी जायजा लिया। अफसराें ने प्रभावित लोगों तक सभी आवश्यक वस्तुएं पहुंचाने का निर्देश दिया।
डीएम भानु चंद्र गोस्वामी, एसएसपी सत्यार्थ अनिरूद्ध पंकज ने भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों और राहत शिविरों का निरीक्षण किया। दोनों अफसर सुबह ही बाढ़ क्षेत्र में पहुंच गए थे तथा जलस्तर की बाबत जानकारी ली। कई सेंटर पर दूध तथा समय से भोजन न मिलने की शिकायत रही। गंगा और यमुना के बढ़ते जलस्तर से शहर के कछारी इलाकों में जहां आफत है, वहीं दारागंज के एक घर में गंगा के स्वागत के लिए रतजगा भी किया गया। दारागंज स्थित गंगा भवन के पास स्वर्गीय बलदेव भगत का घर है, जहां लेटे हुए हनुमान मंदिर की तरह गंगा के प्रवेश के समय बाकायदा पूजा के साथ गंगा की आरती भी उतारी गई। इतना ही नहीं घर के सभी सदस्यों ने रात्रि जागरण करके गंगा सहस्रनाम का पाठ भी किया।
किन्नर अखाड़ा भी गुरुवार को बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आया। राहत केंद्र उमराव सिंह इंटर कालेज, प्राथमिक विद्यालय राजापुर और स्वामी विवेकानंद जूनियर हाई स्कूल अशोक नगर में सदस्यों ने फल और दूध का वितरण किया। बाढ़ पीड़ितों को राहत के लिए छात्रों ने मदद के भी हाथ आगे बढ़ाए हैं। संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले छात्रसंघ बहाली के लिए 46 दिनों से धरने पर बैठे छात्रों ने गुरुवार को बाढ़ प्रभावित इलाकों में जाकर राहत सामग्री बांटी। यमुना के जलस्तर में बढ़ोतरी के साथ ही गुरुवार को यमुना के तटवर्ती मोहल्लों में भी आफत आई। करेली के गौसनगर और गड्ढा कॉलोनी के तमाम घरों में पहले से ही पानी भरा था, गुरुवार को जलस्तर बढ़ा तो नारायणपुरम, जेके नगर सहित करेलाबाग, करेली के कई मोहल्लों के तकरीबन पांच सौ घरों में भी मुसीबत आ गई। घरों में पानी घुसने से जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया।