जिनीवा। कश्मीर मुद्दे पर अतंरराष्ट्रीय दगत में कुछ खास भाव नहीं मिलने के बाद पाकिस्तान को एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र में मुंह की खानी पड़ी है। कश्मीर में कथिक मानवाधिकार उल्लंघन के नाम पर यूएनएचआरसी में प्रस्ताव लाने की कोशिश नाकाम हो गई। जिनीवा में चल रहे 42वें मानवाधिकार सेशन में पाकिस्तान को प्रस्ताव लाने के लिए पर्याप्त संख्या में अन्य देशों का समर्थन नहीं मिला है। भारत के लिहाज से यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी कूटनीतिक जीत है। सभी प्रमुख अतंरराष्ट्रीय मंच पर भारत मजबूती से जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को समाप्त किए जाने को आंतरिक मामला बता चुका है।
मुस्लिम देशों से भी पाकिस्तान को नहीं मिला समर्थन
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान को गुरुवार की देर रात तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पर्याप्त समर्थन नहीं मिला। पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय जगत से कश्मीर पर समर्थन के लिए हर संभव कोशिश कर रहा है। इस्लामाबाद की कोशिशें लगातार असफल हो रही हैं और उसे ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉर्पोरेशन (OIC) से भी सहयोग नहीं मिल सका। भारत के कूटनीतिक प्रयासों की सफलता यहां पर साफ तौर पर देखी जा सकती है। भारत अंतरराष्ट्रीय जगत के बीच मजबूती से कश्मीर को आंतरिक मामला बताने में सफल रहा है।
UNHRC में भारतीय दल ने रखा अपना पक्ष
यूएनएचआरसी में 47 देश हिस्सा ले रहे हैं और भारतीय दल भी मजबूती से अपना पक्ष रखता है। भारतीय दल का नेतृत्व राजनयिक अजय बिसारिया कर रहे हैं। बिसारिया पूर्व में पाकिस्तान में भारत के हाई कमिश्नर रह चुके हैं। कश्मीर मुद्दे पर इस्लामाबाद के झूठे आरोपों का जवाब देने के लिए भारतीय दल ने खासी तैयारी की है।
इमरान खान के झूठ की खुल गई पोल
पिछले सप्ताह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने दावा किया था कि कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को अन्य देशों का काफी सहयोग मिल रहा है। खान ने कहा था, ‘कश्मीरियों को उनका हक दिलाने के लिए और उनके अधिकारों के समर्थन में 58 देशों का सहयोग मिला है।’ हालांकि, 12 सितंबर को यूएनएचआरसी में भारत ने जोरदार ढंग से पाकिस्तान के झूठ की पोल खोल दी थी।
भारत ने पाकिस्तान के झूठ की खोली पोल
पाकिस्तान ने यूएनएचआरसी में भारत द्वारा कश्मीर में मानवाधिकार हनन के आरोप लगाए थे। हालांकि, पाकिस्तान के इन आरोपों का करारा जवाब देते हुए भारत ने सीमा पार से आतंकवाद के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया। भारत ने पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद का गढ़ भी करार दिया।