नई दिल्ली। दिल्ली की केजरीवाल सरकार के ऑड-इवन के फैसले को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में चुनौती दी गई है. दलील है कि पहले भी ये प्रयोग हुआ है, लेकिन इसका कोई खास असर नहीं दिखा, बल्कि परेशानी ज्यादा हुई. दिल्ली सरकार 4 से 15 नवंबर के बीच ऑड-ईवन सिस्टम शुरू करेगी. सरकार का दावा है कि पराली जलाने से बढ़ने वाले प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी. गौरव बंसल ने इस आदेश को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में चुनौती दी है. एनजीटी में सोमवार को इस याचिका को दाखिल किया गया है.
एनजीटी में दिल्ली सरकार के ऑड ईवन लागू करने के फैसले को चुनौती दी गई है. एनजीटी में ऑड इवन लागू करने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका में कहा गया है कि प्रदूषण को रोकने के लिए इवन ऑड को लागू करना व्यावहारिक नहीं है. पहले भी दिल्ली सरकार इसे लागू कर चुकी है लेकिन उससे प्रदूषण पर कोई लगाम लगी हो, ऐसा साबित करने वाली कोई भी रिपोर्ट सरकार के पास नहीं है. एनजीटी में सोमवार को याचिका दाखिल की गई. इस ममाले पर अगले एक-दो दिन में सुनवाई की उम्मीद है.
इस याचिका में यह भी कहा गया है कि जब पहले दिल्ली सरकार ने यह नियम लागू किया था तो उससे आम लोगों की परेशानी और ज्यादा बढ़ी थी. ट्रांसपोर्ट के मजबूत साधन ना होने के चलते लोग जिस सफर को आधा या 1 घंटे के भीतर तय कर लेते थे, उसे तय करने में ऑड-इवन के दौरान दोगुना ज्यादा समय लगा.
याचिका में कहा गया है ऑड इवन लागू करने के दिल्ली सरकार के फैसले पर एनजीटी रोक लगाए. क्योंकि ना तो दिल्ली सरकार का यह फैसला व्यवहारिक है और ना ही इससे शर्तिया प्रदूषण पर लगाम लगती है. सरकार के पास प्रदूषण से संबंधित आंकड़े भी नहीं हैं. हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस बात की घोषणा की थी कि दिल्ली सरकार 4 से 14 नवंबर के बीच दिल्ली में ऑड ईवन सिस्टम को लागू करने जा रही है.
सरकार की तरफ से कहा गया है कि नवंबर महीने में पराली जलने के चलते दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है इसीलिए उस पर लगाम लगाने के लिए इवन ऑड लागू किया जा रहा है. इवन ऑड को चुनौती देने वाली याचिका वकील गौरव कुमार बंसल की तरफ से लगाई गई है, जिन्होंने पहले भी पर्यावरण से जुड़ी कई याचिका एनजीटी में लगाई है. एनजीटी 2017 में भी दिल्ली सरकार के इवन ऑड लागू करने के फैसले पर रोक लगा चुका है.
उस वक्त एनजीटी ने दिल्ली सरकार पर यह कहकर रोक लगा दी थी कि सिर्फ कारों को इवन ऑड में शामिल करके और टू व्हीलर्स को छूट देकर सरकार किस तरह से प्रदूषण पर लगाम लगा सकती है. प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए सबको समान नजर से देखा जाना चाहिए. दूसरा सरकार कोई भी ऐसा डाटा या सर्वे देने में नाकामयाब रही जिससे 2016 में लागू किए गए इवन ऑड के दौरान दिल्ली में प्रदूषण में कमी देखी गई हो.