सऊदी अरब की सबसे बड़ी तेल कंपनी अरामको के दो तेल संयंत्रों पर हुए ड्रोन अटैक के बाद सऊदी अरब में तेल उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वहां तेल उत्पादन में प्रतिदिन के हिसाब से 50 लाख बैरल की कमी आ सकती है. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में जबरदस्त इजाफा हो सकता है.
दरअसल, सऊदी अरब की आधिकारिक प्रेस एजेंसी ने ऊर्जा मंत्री शहजादा अब्दुलअजीज के हवाले से बताया है कि आरामको के संयंत्रों पर हुए ड्रोन हमले की वजह से दोनों इलाकों, अब्कैक और खुरैस में अस्थायी तौर पर तेल का उत्पादन रोक दिया गया है. इसके अलावा हमले के तुरंत बाद सऊदी अरब में भी तेल सप्लाई पर काफी असर पड़ा है, इससे सऊदी के अंदर तेल की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिलने लगी है. सऊदी अरब के बाहर मध्य पूर्व के कई देशों में तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका अधिक हो गई है.
उधर हमले के बाद दुनिया भर के देशों का ध्यान इस मामले की तरफ गया है. इस हमले के लिए अमेरिका ने सीधे तौर पर ईरान को जिम्मेदार ठहराया है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने आरोप लगाया है कि ईरान ने दुनिया भर में तेल सप्लाई रोकने के लिए ड्रोन हमले करवाए हैं. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से फोन पर बातचीत की है.
शनिवार को हमले के कुछ समय बाद यमन के यमन के ईरान समर्थित हाउती विद्रोहियों ने आरामको पर किए गए इस हमले की जिम्मेदारी ली थी. अल मसीरा टीवी के मुताबिक, ‘विद्रोहियों ने बड़े पैमाने पर ऑपरेशन शुरू किया जिसमें 10 ड्रोन शामिल थे, उन्होंने अब्कैक और खुरैस के संयंत्रों को निशाना बनाया.’ हालांकि हमले के बाद ही सऊदी अरब की प्रेस एजेंसी ने जानकारी देते हुए बताया था कि, ‘अरामको के औद्योगिक सुरक्षा दलों ने अब्कैक और खुरैस संयंत्रों में ड्रोन हमले के कारण लगी आग पर काबू पा लिया गया है.’
अभी यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि हमले में कितने लोग घायल हुए हैं. संयत्रों में लगी आग के बाद के कुछ वीडियो जरूर वायरल हो रहे हैं जिसमें सिर्फ धुआं ही धुआं नजर आ रहा है. दोनों संयंत्रों में आग की घटना ड्रोन हमले के बाद हुई है. बता दें कि अरामको की स्थापना अमरीकी तेल कंपनी ने की थी. अरामको यानी ‘अरबी अमरीकन ऑइल कंपनी’ का सऊदी अरब ने 1970 के दशक में राष्ट्रीयकरण कर दिया था. अरामको दुनिया की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी के रूप में जानी जाती है.