दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: दिल्ली के रिहायशी इलाकों के फुटपाथों से हटाएं अतिक्रमण

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के रिहायशी इलाकों के फुटपाथों पर से अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि फुटपाथ पर जो भी कब्जे हैं, उन्हें 15 दिन का नोटिस देकर खाली कराएं। अगर कोई खुद नहीं हटता है तो संबंधित अथॉरिटी कब्जा हटाए और इसका खर्च उस कब्जा करने वाले से ही एरियर के रूप में वसूलें। लगातार अतिक्रमण करने वालों के लिए नियम बनाने पर विचार हो, जिससे उनकी बिजली-पानी जैसी सुविधाएं बंद की जा सकें।

जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने सोमवार को पर्यावरणविद एमसी मेहता की अर्जी पर ये निर्देश दिए हैं। अदालत ने दिल्ली सरकार की पार्किंग पॉलिसी को 30 सितंबर तक नोटिफाई करने और अमल के बारे में 4 अक्टूबर को बताने के लिए भी कहा। इसमें राहगीरों और साइकलवालों को प्राथमिकता दी गई है। खाली प्लॉट का इस्तेमाल किराया देकर पार्किंग के लिए हो सकता है। 

कई कॉलोनियों में है अतिक्रमण

शीर्ष अदालत के निर्देश के बाद सिविक एजेंसियों को अब ऐक्शन लेना ही पड़ेगा। अगर वे अतिक्रमण नहीं हटा पाती हैं या कुछ और समय चाहिए तो अदालत में बताना पड़ेगा कि ऐसा क्यों। कुछ कॉलोनियों को छोड़ दें तो लगभग सभी जगह फुटपाथों पर दुकानें लगती हैं। दुकानदार बाहर तक सामान फैलाकर रखते हैं। सड़कों पर गाड़ियां खड़ी होती हैं। इन सब वजहों से दिल्ली को जाम का सामना करना पड़ता है। इस फैसले पर अमल से यातायात व्यवस्था सुधरेगी। लगभग 10 साल पहले रिहायशी इलाकों में चल रहीं दुकानों को बंद करने का फैसला आया था। इस निर्णय को भी उतना ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 

‘प्लानिंग शुरू कर दी गई है’
नॉर्थ/साउथ एमसीडी कमिश्नर वर्षा जोशी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे जाम की समस्या सुलझेगी। वेंडरों, पार्किंग की जगह भी तय होगी। उन्होंने कहा कि प्लानिंग शुरू कर दी गई है। 

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