श्रीनगर। कश्मीर को 370 से मिली आजादी के बाद घाटी में पहला 15 अगस्त मनाया गया. जहां सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बीच जश्न में किसी तरह की कमी देखने को नहीं मिली. लोगों ने शान के साथ तिरंगा फहराया. जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में तिरंगा फहराया.
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि पथराव की घटनाओं के साथ-साथ आतंकवादी संगठनों में कश्मीरी युवाओं की भर्ती में कमी आई है. झंडा फहराने के बाद राज्यपाल ने परेड की सलामी ली. स्टेडियम और बाहर बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात रहे, जिन्हें अनुमति मिली हुई थी, सिर्फ उन्हें ही स्टेडियम में जाने दिया गया. इस मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि सरकार कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित वापसी को लेकर प्रतिबद्ध है, जो 1990 में हजारों की संख्या में घाटी छोड़कर चले गए थे. लोगों ने ध्वजारोहण के बाद आजादी के जश्न के गीत गाए.
संविधान के अनुच्छेद-370 को खत्म करते हुए राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने के बाद यह जम्मू-कश्मीर का पहला स्वतंत्रता दिवस मनाया गया. एहतियात के तौर पर कार्यक्रम स्थल तक जाने वाली सभी सड़कों को बंद कर दिया गया था. लद्दाख के भाजपा सांसद जोयांग नामग्याल ने स्थानीय पार्टी कार्यालय में तिरंगा फहराते हुए इसे लद्दाख का पहला स्वतंत्रता दिवस बताया. नांग्याल ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को हटाकर लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने पर संसद में भाषण दिया था, जिसने उनके प्रशंसकों समेत तमाम देशवासियों का दिल जीत लिया था.
इस दौरान नामग्याल लद्दाखी पुरुषों के पारंपरिक गहरे भूरे रंग की पोशाक पहने हुए दिखाई दिए. उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता राम माधव और अन्य लोगों के साथ लेह में तिरंगा फहराया. राम माधव और अन्य लोगों ने लेह में तिरंगा फहराया, उनके साथ बड़ी संख्या में लोग थे. इसके अलावा स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में स्कूली बच्चों ने रंगारंग नृत्य प्रस्तुत कर समां बांधा.