नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का दिल्ली में रह रहे कश्मीरी पंडितों ने स्वागत किया है। आईएनए के पास दुकान चला रहे कश्मीरी पंडितों ने केंद्र सरकार के फैसले को देर से आया दुरस्त फैसला बताया। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले के बाद उन्हें फिर से घर वापसी की आस जगी है।
केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को जम्मू-कश्मीर के संबंध में लिए फैसले के बाद आईएनए के पास कश्मीरी मार्केट में जश्न का माहौल रहा। बाजार में दुकान चलाने वाले कश्मीरी दुकनदारों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर जश्न मनाया।
मार्केट के प्रधान राजेश कुमार ने कहा कि 1990 की एक रात को अचानक सभी कश्मीरी पंडितों को अपना घर छोड़ना पड़ा था। इन 30 वर्षों में कश्मीरी पंडितों ने दर-दर की ठोकरें खाई हैं। आज के फैसले से इन 30 वर्षों की थकान दूर हुई है। उन्होंने कहा कि आज का दिन विस्थापन की पीड़ा झेल रहे लोगों के लिए खुशी का दिन है। इस फैसले से सभी खुश हैं।
आईएनए कश्मीरी मार्केट के प्रधान राजेश कुमार ने कहा, “जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार के आज के फैसले से कश्मीरी पंडितों की घर वापसी की शुरुआत हो गई है। मेरा मानना है कि माहौल ठीक होने में तीन साल लगेंगे, लेकिन रास्ता खुल गया है। इस फैसले का हम स्वागत करते हैं।”
कश्मीरी दुकनदार अशोक कुमार मट्टू ने कहा, “आतंकवाद के कारण 1990 की एक रात को घर छोड़कर आना पड़ा। उस वक्त मेरी उम्र 22 साल थी। सभी किसी तरह अपनी जान बचा कर अपना घर छोड़ कर आए थे। तब से यहां किराये के मकान में परिवार समेत रह रहा हूं। अब हम लोग घर वापस जाना चाहते हैं।”
दुकानदार संजय मट्टू ने कहा, “फैसले का स्वागत है। इस फैसले ने 30 साल की थकान मिटा दी है। हालांकि, यह फैसला पहले होना चाहिए था, लेकिन देर से ही सरकार ने दुरुस्त फैसला लिया है।”
सरकार भरोसा दे तो फिर बसेंगे
केंद्र के फैसले के बाद विभिन्न इलाकों में रह रहे कश्मीरी पंडितों में खुशी और उत्साह का माहौल है। कश्मीरी पंडित 30 साल पहले के उस दौर को याद कर रहे हैं, जब उन्हें अपना घर छोड़ कर दूसरे कोनों में जाकर रहना पड़ा था। ऐसे ही परिवार का हिस्सा हैं विशाल शर्मा। विशाल का पूरा परिवार कश्मीर से दिल्ली आया था। उस समय विशाल तीन साल के थे।
छह लोगों के पूरे परिवार को कश्मीर में अपना आलीशान घर छोड़कर दिल्ली में एक हॉल में रहना पड़ा था। मूलत: श्रीनगर के रहने वाले विशाल बताते हैं कि दिल्ली आने के बाद परिवार को कई परेशानियों से जूझना पड़ा। पीएचडी की पढ़ाई कर रहे विशाल कहते हैं कि अगर सरकार हमें कश्मीर में बसाने के लिए प्रेरित करती है तो हम जरूर बसेंगे। इसके लिए सरकार हमें सुरक्षा और रोजगार की गारंटी दे।
कश्मीरी पंडितों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था जीकेपीडी ने कहा, “मोदी सरकार के इस बड़े फैसले से घाटी में शांति का माहौल स्थापित होगा और मूल स्थान पर सम्मान एवं गरिमा के साथ कश्मीरी पंडितों की वापसी का मार्ग प्रशस्त होगा।”