नई दिल्ली. अयोध्या विवाद पर मध्यस्थता पैनल की कोशिशें कामयाब नहीं होने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाभारत का उदाहरण दिया। उन्होंने शनिवार को कहा कि हमें पहले ही मालूम था कि मंदिर-मस्जिद मामले को सुलझाने में मध्यस्थता के प्रयास बेअसर रहेंगे, क्योंकि पहले भी इनका कोई नतीजा नहीं निकला था। पांडव और कौरव के बीच महाभारत से पहले मध्यस्थता की कोशिश हुई, लेकिन वह विफल रही थी।
योगी आदित्यनाथ ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या भूमि विवाद को लेकर तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल का गठन किया था जो विफल रहा। यह अच्छी बात है कि मध्यस्थता के लिए प्रयास किया गया।” योगी का यह बयान सुप्रीम कोर्ट के द्वारा शुक्रवार को मध्यस्थता पैनल को रद्द करने और 6 अगस्त से अयोध्या मामले पर नियमित सुनवाई करने की घोषणा के बाद आया है। उम्मीद जताई जा रही है कि 60 दिन के भीतर सुनवाई पूरी हो जाएगी।
कोर्ट ने मार्च में मध्यस्थता पैनल बनाया था
सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को इस मामले को बातचीत से सुलझाने के लिए मध्यस्थता पैनल बनाया था। समिति में पूर्व जस्टिस एफएम कलिफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, सीनियर वकील श्रीराम पंचू शामिल हैं। मई में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की बेंच ने मध्यस्थता पैनल को इस मामले को सुलझाने के लिए 15 अगस्त तक का समय दिया था। बेंच ने सदस्यों को निर्देशित किया था कि आठ हफ्तों में मामले का हल निकालें। पूरी बातचीत कैमरे के सामने हो।
मध्यस्थता पैनल से नहीं मिल रहे थे सकारात्मक परिणाम
अयोध्या विवाद में पक्षकार गोपाल सिंह विशारद ने अपनी याचिका में कोर्ट से कहा था कि मध्यस्थता पैनल से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिल रहे हैं। इसलिए कोर्ट को जल्द फैसले के लिए रोज सुनवाई पर विचार करना चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा था कि मध्यस्थता पैनल की स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद ही तय करेंगे कि अयोध्या मामले की सुनवाई रोजाना की जाए या नहीं। कोर्ट ने पैनल को अपनी अंतिम रिपोर्ट 1 अगस्त तक सौंपने को कहा था।