राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक के खिलाफ एम्स समेत दिल्ली के सभी बड़े अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर शनिवार को भी हड़ताल पर रहेंगे। हालांकि कुछ अस्पताल में इमरजेंसी सेवा बहाल रहेंगी। फेडेरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर सुमेध ने बताया कि मरीजों की समस्या को देखते हुए इमरजेंसी सेवा चालू रखने का निर्णय लिया है लेकिन ओपीडी समेत अन्य सेवाओं का बहिष्कार करेंगे। राम मनोहर लोहिया, लेडी हार्डिंग अस्पताल, जीटीबी अस्पताल, लोकनायाक, जीबी पंत, हिंदूराव अस्पताल समेत दिल्ली के कई अस्पतालों में हड़ताल रहेगी।
आपातकालीन सेवाएं ठप
सफदरजंग अस्पताल में इमरजेंसी, ओपीडी समेत तमाम सेवाएं प्रभावित रहेंगी। अस्पताल की रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर प्रकाश ठाकुर ने यह जानकारी दी। वहीं दूसरी ओर, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक के खिलाफ लगातार दूसरे दिन भी राजधानी के अस्पतालों में हड़ताल रही। रेजिडेंट डॉक्टरों के काम न करने से दो दिनों में लगभग छह हजार सर्जरी रद्द हुईं और डेढ़ लाख से अधिक मरीज प्रभावित हुए। हड़ताल से मरीजों का बुरा हाल रहा। लोकनायक अस्पताल में तो इमरजेंसी का गेट भी बंद कर दिया गया। एम्स, सफदरजंग में वरिष्ठ डॉक्टरों ने इमरजेंसी का काम संभाला, लेकिन यहां कुछ ही मरीजों का इलाज हो पाया। वहीं तीमारदारों ने परेशान होकर यातायात भी बाधित किया।
प्रशासन ने भी स्वीकारा, सेवा प्रभावित रही : एलएनजेपी अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने इस बात को स्वीकार किया कि हड़ताल की वजह से इमरजेंसी और ओपीडी की सेवा पूरी तरह से प्रभावित है। गंभीर स्थिति में आने वाले मरीजों को देखने के लिए निर्देश दिए गए हैं। लेकिन शिकायत मिली है कि हड़ताल में शामिल रेजिडेंट डॉक्टर उन्हें भी वापस भेज रहे हैं, जो पूरी तरह से गलत है।
41 अस्पताल के चिकित्सक हड़ताल पर रहे
विधेयक के खिलाफ राजधानी के 41 अस्पतालों में हड़ताल रही। इनमें दिल्ली सरकार के 31 , केंद्र सरकार के पांच और निगम के पांच अस्पताल शामिल रहे। एम्स, सफदरजंग, राम मनोहर लोहिया, लेडी हार्डिंग, लोकनायक, जीबी पंत, गुरु तेग बहादुर अस्पताल (जीटीबी), दीन दयाल उपाध्याय, हिंदूराव जैसे बड़े अस्पतालों में हड़ताल का सबसे अधिक असर रहा। यहां आपातकालीन सेवाएं प्रभावित रहीं। हालांकि एम.सी जोशी, इबहास और बसई दारापुर स्थित ईएसआईसी जैसे प्रमुख अस्पतालों में कामकाज सामान्य रहा।