बेंगलुरु. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को विधानसभा में ध्वनिमत से विश्वास मत हासिल कर लिया। कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिरने के बाद येदियुरप्पा ने 26 जुलाई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। प्रस्ताव पेश करते हुए येदियुरप्पा ने कहा कि जब सिद्धारमैया और कुमारस्वामी मुख्यमंत्री थे, तब मैं किसी भी तरह से बदले की राजनीति में शामिल नहीं रहा। प्रशासनिक व्यवस्थाएं नाकाम हो चुकी थीं, हम सिर्फ अधिकारों के लिए लड़ रहे थे। विरोध करने वालों से भी कोई बैर नहीं। कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा कि येदियुरप्पा के साथ कभी जनादेश नहीं रहा। इसबीच, स्पीकर रमेश कुमार ने पद से इस्तीफा दे दिया।
विधानसभा स्पीकर केआर रमेश कुमार ने कार्रवाई करते हुए कुल 17 बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया था। इस तरह येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 224 सदस्यों वाली विधानसभा में 104 का आंकड़ा चाहिए था। एक निर्दलीय को मिलाकर उनके पास 106 विधायकों का समर्थन है।
येदियुरप्पा ने कहा कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा को धन्यवाद देता हूं। प्रदेश में सूखे की स्थिति है और हमने फैसला किया है कि किसानों को पीएम किसान योजना के 2000 हजार रुपए की दो किस्तें तुरंत दी जाएं। इसलिए विपक्ष से विश्वास मत में सहयोग की अपील करता हूं। कांग्रेस नेता सिद्धारमैया ने कहा- हमने कुमारस्वामी के विश्वास मत प्रस्ताव पर चार दिन चर्चा की थी। मैं येदियुरप्पा से कहा था कि आप सीएम बनेंगे तो क्या परिस्थितियां होंगी। हम यहां जनता के लिए काम करने आए हैं। मैंने और कुमारस्वामी ने इसे पूरा करने की कोशिश की।
येदियुरप्पा के पास कभी जनादेश नहीं रहा: कांग्रेस
सिद्धारमैया ने कहा- ”दुर्भाग्यवश जनादेश के तहत येदियुरप्पा मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। आपके पास तो 2008, 2018 और अब भी जनादेश कहां हैं? आपके पास बहुमत के हिसाब से 112 विधायक नहीं सिर्फ 105 ही हैं। हमें उम्मीद है कि येदियुरप्पा मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है। आप बागियों के साथ थे, क्या ऐसे में स्थाई सरकार दे पाएंगे? यह असंभव है। मैं विश्वास मत प्रस्ताव का विरोध करता हूं, क्योंकि सरकार अनैतिक है।”
भाजपा विधायकों की संख्या 105 से 100 नहीं करेंगे: जेडीएस
कुमारस्वामी ने कहा, ”मैंने 14 महीने सरकार चलाई। इस दौरान किए हमारे सभी कामों का रिकॉर्ड है। आपको (येदियुरप्पा) जवाब देने के लिए बाध्य नहीं हूं। आपने (भाजपा) बागी विधायकों को सड़क पर ले आए। उनकी अयोग्यता पर स्पीकर के फैसले के सख्त संदेश गया है। उन्होंने जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लिया। सत्ता स्थाई नहीं होती है। न तो नरेंद्र मोदी के लिए और न ही जेपी नड्डा के लिए। हम आपकी संख्या 105 से 100 पर लाने की कोशिश नहीं करेंगे।”
भाजपा ने स्पीकर को पद छोड़ने के लिए कहा था
येदियुरप्पा सरकार के बहुमत हासिल करने के बाद स्पीकर रमेश कुमार ने पद से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा था कि हमनें रमेश कुमार को पद छोड़ने के लिए कहा है। पारंपरिक रूप से स्पीकर का पद सत्तारूढ़ दल के किसी सदस्य के पास होता है। अगर रमेश कुमार स्वयं पद नहीं छोड़ते तो उनके खिलाफ सरकार अविश्वास प्रस्ताव ला सकती थी।
ये 17 विधायक अयोग्य ठहराए गए
कांग्रेस (14): प्रताप गौड़ा पाटिल, बीसी पाटिल, शिवाराम हेब्बर, एसटी सोमाशेखरा, बी बस्वराज, आनंद सिंह, रोशन बेग, मुनिरत्ना, के सुधाकर, एमटीबी नागराज, श्रीमंत पाटिल, रमेश जारकिहोली, महेश कुमाथल्ली और आर शंकर।
जेडीएस (3): एच विश्वनाथ, नारायण गौड़ा और के गोपालैया।
अयोग्य घोषित विधायक सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे
एच विश्वनाथ ने कहा, ‘‘स्पीकर का फैसला नियमों के खिलाफ है। सिर्फ एक व्हिप के आधार पर विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया। आप किसी विधायक को सदन में मौजूद रहने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं। सोमवार को सभी विधायक सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाएंगे।’’ स्पीकर ने कहा है कि दल बदल कानून के तहत 23 मई 2023 तक सभी अयोग्य विधायकों की सदस्यता खत्म रहेगी। साथ ही उनके उपचुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी गई है।