नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस.येदियुरप्पा व कांग्रेस नेता डी.के.शिवकुमार के खिलाफ नौ साल पुराने भ्रष्टाचार के मामले को फिर से खोले जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की सहमति दे दी।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह एनजीओ समाज परिवर्तन समुदाय के लॉकस स्टैंडी (अदालत में जाने के अधिकार) पर निर्णय देगी। एनजीओ मामले में हस्तक्षेप कर रहा है और चाहता है कि कुछ साल पहले बंद हो चुके मामले को फिर से खोला जाए।
एनजीओ का प्रतिनिधित्व करते हुए वकील प्रशांत भूषण ने दिन में अदालत से कहा कि येदियुरप्पा के कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने की संभावना है। येदियुरप्पा ने शाम में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। पीठ ने कहा कि वह किसी नाम से या किसी व्यक्ति से प्रभावित नहीं है और वह मामले पर दो हफ्ते बाद सुनवाई करेगी।
येदियुरप्पा की तरफ से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि एनजीओ अनावश्यक रूप से भ्रष्टाचार मामले को खोलने की कोशिश कर रहा है। इस मामले को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2015 में रद्द कर दिया था। यह मामला कर्नाटक (रिस्ट्रिक्शन ऑफ ट्रांसफर) ऑफ लैंड एक्ट के 4.20 एकड़ भूमि की अधिसूचना को रद्द करने से जुड़ा है।
इसमें आरोप लगाया गया है कि 5.11 एकड़ की भूमि को बी.के.श्रीनिवासन द्वारा 1962 में खरीदा गया। इसमें कहा गया कि 4.20 एकड़ की जमीन को कृषि इस्तेमाल से औद्योगिक इस्तेमाल के लिए बदल दिया गया। इस भूमि को बंगलोर विकास प्राधिकरण अधिनियम के प्रावधानों के तहत अधिग्रहण के लिए अधिसूचित किया गया।
इसमें आरोप लगाया गया कि डी.के.शिवकुमार ने शहरी विकास मंत्री का पदभार संभालने के बाद पूरी जानकारी में भूमि को अधिग्रहण के लिए अधिसूचित किया। इस जमीन को शिवकुमार ने श्रीनिवासन से 18 दिसंबर 2003 को 1.62 करोड़ रुपये में भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम का उल्लंघन कर खरीद लिया। आरोप यह भी लगाया गया है कि यह खरीद कर्नाटक रिस्ट्रिक्शन ऑफ ट्रांसफर ऑफ लैंड एक्ट की धारा 3 का उल्लंघन है।