नई दिल्ली। चंद्रग्रहण रात 1 बजकर 31 मिनट शुरू हो गया है। जो सुबह 04 बजकर 30 मिनट पर खत्म हुआ। ग्रहण की कुल अवधि 2.59 घंटे रही। यह आंशिक चंद्र ग्रहण है। और इसी के साथ ये साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण भी है।
चंद्र ग्रहण से पहले ठीक 9 घंटे पहले यानी कि शाम 4:30 बजे से सूतक लगा था। इस चंद्र ग्रहण को भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, एशिया लेकिन यहां के उत्तर-पूर्वी भाग को छोड़ कर, अफ्रीका, यूरोप, उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका के ज्यादातर भाग देखा जा रहा है।
महाराष्ट्र में ऐसे दिखा चंद्रग्रहण।
ओडिसा में कुछ इस तरह से दिखा चंद्रग्रहण।
दिल्ली में इस तरह दिखा चंद्रग्रहण।
खास है इस बार का चंद्र ग्रहण
चंद्रग्रहण की यह घटना अपने आप ऐतिहासिक है। इस बार के चंद्र ग्रहण की दो खास बातें हैं। पहली यह कि 149 साल बाद गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लगा है। गुरु पूर्णिमा के दिन हिंदू और बौद्ध मतावलंबी अपने आध्यात्मिक गुरुओं एवं शिक्षकों के प्रति आभार प्रकट करते हैं।
इन जगहों पर दिखा चंद्र ग्रहण
यह आंशिक चंद्रग्रहण है जो अरुणाचल प्रदेश के दुर्गम उत्तर पूर्वी हिस्सों को छोड़कर देश भर में देखा गया।दुनिया भर में यह ग्रहण एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका के अधिकतर हिस्सों में दिखाई दिया।
क्या होता है आंशिक चंद्र ग्रहण
आंशिक चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) तब होता है जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी घूमते हुए आती है, लेकिन वे तीनों एक सीधी लाइन में नहीं होते। ऐसी स्थिति में चांद की छोटी सी सतह पर पृथ्वी के बीच के हिस्से की छाया पड़ती है, जिसे अंब्र कहते हैं। चांद के बाकी हिस्से में पृथ्वी के बाहरी हिस्से की छाया पड़ती है, जिसे पिनम्ब्र कहते हैं। इस दौरान चांद के एक बड़े हिस्से में हमें पृथ्वी की छाया नजर आने लगती है।
प्राकृतिक आपदाओं का भी खतरा!
ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार ग्रहों की यह दशा तनाव बढ़ा सकती है और भूकंप, बाढ़ या तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी बना हुआ है। आम लोगों पर भी इस ग्रहण का कुछ न कुछ प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा है।