दिल्ली

दिल्ली में शाही शादियों पर शिकंजे की तैयारी, दिल्ली सरकार ने बनाई नई पॉलिसी

नई दिल्ली। राजधानी में होने वाले भव्य विवाह कार्यक्रमों पर रोक लग सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने शादियों में होने वाले खाने और पानी की बर्बादी पर नाराजगी जाहिर की थी। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की इस नाराजगी पर प्रतिक्रिया देते इसे लेकर एक पॉलिसी बनाने का मन बनाया है। इस नीति के तहत सरकार विवाह कार्यक्रम में मेहमानों की संख्या सीमित कर सकती है। इसमें यह भी नियम बनाया जा सकता है कि विवाह कार्यक्रम में बचा हुआ भोजन वंचितों को दिया जाए। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि विवाह कार्यक्रम की वजह से ट्रैफिक बाधित नहीं होना चाहिए। माना जा रहा है कि इस पॉलिसी को लेकर इस महीने ही नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है। दिल्ली सरकार ने इस मामले में संबंधित पक्षों से चर्चा की है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई मॉनिटरिंग कमिटी ने भी इसके लिए हामी भर दी है। एक सूत्र ने बताया, ‘इसमें तय किए गए नियम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार हैं।’

तय होगी मेहमानों की संख्या
ड्राफ्ट की गई पॉलिसी में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें मेहमानों की संख्या पर भी नियम तय किया गया है। कितने महमान बुलाए जा सकते हैं, यह कार्यक्रम स्थल और पार्किंग लॉट के हिसाब से तय किया जाएगा। अधिकतम मेहमानों की संख्या कार्यक्रम स्थल के वर्ग मीटर क्षेत्र को 1.5 से विभाजित करके प्राप्त की गई संख्या होगी या पार्क की जा सकने वाली कारों की संख्या का चार गुना। इन दोनों में जो भी संख्या कम होगी, उतने ही मेहमान अधिकतम बुलाए जा सकते हैं।

नियमों के उल्लंघन पर तगड़ा जुर्माना
नियमों का उल्लंघन करने पर मेजबान पर नहीं कार्यक्रम स्थल के संचालक पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। पहली बार उल्लंघन करने पर 5 लाख और दूसरी बार उल्लंघन करने पर 15 लाख जुर्माना और तीसरी बार उल्लंघन पर लाइसेंस भी कैंसल किया जा सकता है।

गरीबों तक पहुंचेगा बचा हुआ खाना
पॉलिसी के तहत बचा हुआ खाना वंचितों में वितरित किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने ‘अपुष्ट खबरों’ के आधार पर चिंता जताई थी कि दिल्ली में भोजन न मिलने से तीन बच्चियों की मौत हो गई थी, जबकि ऐसे विवाह समारोह में बड़ी मात्रा में खाना बर्बाद होता है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर को बताया गया कि राजधानी में लगभग 300 विवाह कार्यक्रम स्थल हैं, लेकिन शादी के सीजन में कभी-कभी 30,000 से 50,000 शादियां एक दिन में होती हैं। इसमें कहा गया था कि इस दौरान बेहद बड़ी मात्रा में खाना और पानी बर्बाद होता है।

एनजीओ को सौंपा जाएगा काम
नई पॉलिसी में ऑर्गनाइजर और कैटरर को एक एनजीओ के साथ मिलकर यह तय करना होगा कि बचा हुआ खाना वंचितों में वितरित किया जाए। सूत्रों की मानें तो नई पॉलिसी के तहत नियम बनाया गया है कि फंक्शन खत्म होने के तुरंत बाद यह खाना तुरंत एनजीओ को सौंपा जाए। ऑर्गनाइजर को इस बात के भी सबूत देने होंगे कि कार्यक्रम में भोजन बर्बाद नहीं हुआ है, बल्कि बचा हुआ भोजन गरीब लोगों में वितरित किया गया है।

ऑफिसर होंगे नियुक्त
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि खाने की क्वॉलिटी भी ध्यान में रखी जाए। चीफ सेक्रेटरी ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच को बताया था कि कभी-कभी कैटर्स बचे हुए भोजन को अन्य कार्यक्रमों में इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है। ऐसे में नई नीति के तहत फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट ऐसे कार्यक्रमों में अपने ऑफिसर नियुक्त करेंगे। नियमों का उल्लंघन होने पर कार्रवाई की जाएगी।

ट्रैफिक जाम पर होगी कार्रवाई
नई पॉलिसी में यह भी योजना बनाई गई है कि कार्यक्रम स्थल के बाहर भीड़ होने से अक्सर लोगों को ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ता है। ऐसे में क्योंकि पार्किंग के आकार के मुताबिक ही कारों को जगह दी जाएगी। ऐसे में सड़क किनारे पार्किंग की व्यवस्था नहीं होगी। पॉलिसी में घोड़ा बग्गी और बैंड की व्यवस्था पर रोक लगाई है। इसके अलावा कार्यक्रम स्थल में भी पटाखों का इस्तेमाल भी नहीं होगा।

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