नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए सरकार सत्ता में वापसी के बाद से ही एक्शन मोड में नजर आ रही है. मसलन, सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में ही ”श्रमिक सम्मान योजना” के तहत मजदूरों को 3000 प्रति महीना पेंशन के बिल को हरी झंडी दे दी गई थी. हाल ही में एक और बड़ा फैसला लिया गया है. इसका फायदा 40 करोड़ से अधिक लोगों को मिलने की उम्मीद है.
दरअसल, नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट ने हाल ही में ”कोड ऑफ ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल, 2019” को मंजूरी दी है. इस बिल में कंपनियों पर कर्मचारियों के हितों का ख्याल रखने की जिम्मेदारी दी गई है. इस बिल के मुताबिक कामगारों की न्यूनतम मजदूरी प्रतिदिन के हिसाब से 178 रुपये तय की गई है. इसका मतलब यह हुआ कि देश के किसी भी राज्य में मजदूरों को 178 रुपये से कम दिहाड़ी नहीं दी जा सकती है. हालांकि सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि अगर कोई राज्य 178 रुपये से अधिक दिहाड़ी देता है तो उसका स्वागत है. इसके अलावा मजदूरों को हर महीने की एक निश्चित तारीख को वेतन दे दी जाएगी. इस बिल में प्रावधान है कि तय उम्र के बाद कंपनियां अपने कर्मचारियों का मुफ्त हेल्थ चेकअप करवाएंगी. वहीं कंपनी में बच्चों के लिए क्रेच, कैंटीन जैसी सुविधा जरूरी होगी.
इसके साथ ही दफ्तर में महिलाओं के लिए वर्किंग आवर 6 बजे सुबह से 7 बजे शाम के बीच ही रहेंगे. यानी अब नौकरी करने वाली महिलाएं नाइट शिफ्ट में काम करने या नहीं करने के फैसले खुद ले सकेंगी. इस बिल में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि 7 बजे शाम के बाद अगर वर्किंग आवर तय किया जाता है तो सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनी की होगी. इसके अलावा ओवरटाइम लेने से पहले कर्मचारी की सहमति जरूरी होगी. वहीं इस बिल के दायरे में वे सभी कंपनियां आएंगी जिसमें 10 या उससे अधिक स्टाफ काम करते हैं.
मोदी सरकार में श्रम मंत्री (स्वतंत्र प्रभार ) संतोष गंगवार का दावा है कि सदन में मंजूरी के बाद इस बिल का फायदा 40 करोड़ से अधिक कामगारों को मिलेगा.संतोष गंगवार के मुताबिक इस बिल के पास होने के साथ 13 श्रम कानूनों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा, यानी सिर्फ एक कानून रह जाएगा.