गाजियाबाद। पीपीपी मॉडल पर शहर में लगाई गई एलईडी स्ट्रीट लाइटों और कंपनी की ओर से अनुबंध के मुताबिक काम न किए जाने के मामले में मंडलायुक्त ने जांच के आदेश दिए हैं। भाजपा पार्षद राजेंद्र त्यागी की शिकायत पर मंडलायुक्त ने नगर आयुक्त से जांच कराकर रिपोर्ट मांगी है। पार्षद का आरोप है कि कंपनी के अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन करने के बावजूद लखनऊ के एक उच्च अधिकारी और राजनीतिक दबाव में कंपनी का भुगतान करने की पूर्व में संस्तुति कर दी गई थी।
पार्षद राजेंद्र त्यागी ने चार जून को यह शिकायत मेरठ मंडलायुक्त अनीता सी मेश्राम को भेजी थी। उन्होंने आरोप लगाए थे कि कंपनी ने 48 हजार लाइटें बदलने का दावा किया, लेकिन स्टोर में पुरानी उतारी हुई लाइटों से पुष्टि हुई कि कंपनी ने करीब साढ़े 35 हजार लाइटें बदली हैं। इसके अलावा करीब 10 फीसदी से ज्यादा लाइटें खराब हो चुकी हैं। कंपनी इनका मेंटेनेंस नहीं कर रही है। लखनऊ के एक सीनियर अधिकारी और राजनीतिक दबाव के चलते निगम अधिकारियों ने करीब साढ़े तीन करोड़ का भुगतान कंपनी को देने की संस्तुति कर दी है।
पूर्व में नगर निगम बोर्ड इसी कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने का निर्णय ले चुका है। उन्होंने मामले की जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है। आरोप है कि निगम अधिकारी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए एक पक्षीय कार्रवाई कर रहे हैं। इस मुद्दे पर 13 जून को हुई निगम की बोर्ड बैठक में भी हंगामा हुआ था। मंडलायुक्त ने अब नगर आयुक्त दिनेश चंद्र को जांच कराकर रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।