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इस हफ्ते बरसेंगे बदरा, जानिए मानसून के देरी की वजह

नई दिल्ली। एक जुलाई तक सामान्यत: पूरे देश में मानसून आ जाता है, लेकिन इस साल यह अभी तक दो-तिहाई से भी कम हिस्से तक पहुंचा है। अरब सागर में बने चक्रवात ‘वायु’ ने इसकी नमी सोखकर इसकी चाल को धीमा कर दिया था। लेकिन बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र की वजह से इस हफ्ते इसके आगे बढ़ने की रफ्तार अच्छी रहने की संभावना है।

भारतीय मौसम विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि मानसूनी बारिश में विलंब की वजह से देश में इस साल जून का महीना 2015 से अब तक सबसे सूखा रहा। इस महीने बारिश औसत का 67 फीसद रही। जबकि इसी महीने में 2018 में यह 95 फीसद, 2017 में 104 फीसद, 2016 में 89 फीसद, 2015 में 116 फीसद और 2014 में 58 फीसद थी। मौसम विभाग के मुताबिक, इसी वजह से देश के किसानों ने 1.47 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर ही बोआई की है जो पिछले साल के मुकाबले 10 फीसद कम है।

इस पखवाड़े पश्चिम व मध्य भारत में अच्छी बारिश
विभाग के मुताबिक कपास, सोयाबीन और दाल उत्पादक देश के पश्चिमी और मध्य भाग में जुलाई के पहले पखवाड़े में अच्छी बारिश होने की संभावना है, लेकिन उत्तर भारत में बारिश औसत से कम रह सकती है। जुलाई के दूसरे पखवाड़े में देश के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थिति में सुधार होगा, लेकिन मध्य और पश्चिम भाग में बारिश में कमी आ सकती है। कुल मिलाकर जुलाई में बारिश औसत से कम रहेगी, लेकिन फिर भी हालात जून से बेहतर रहेंगे।

मई में हुई कम बारिश
बता दें कि सामान्य या औसत मानसून का मतलब 96 से 104 फीसद बारिश को माना जाता है। इसकी गणना मानसून के चार महीनों के दौरान 50 साल की औसत बारिश 89 सेंटीमीटर (35 इंच) से की जाती है। मई में मौसम विभाग ने इस साल औसत बारिश और निजी कंपनी ‘स्काईमेट’ ने सामान्य से कम बारिश का पूर्वानुमान व्यक्त किया था।

जलाशयों में पानी की कमी
केंद्रीय जल आयोग के 27 जून तक के आंकड़ों के मुताबिक देश के 91 बड़े जलाशयों में से 62 में जलस्तर 80 फीसद या सामान्य से कम है।

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