गाजियाबाद। जीडीए ने इंदिरापुरम योजना से निकलने वाले कूड़े के समाधान के लिए मंथन तेज कर दिया है। प्राधिकरण की योजना पहले इंदिरापुरम से रोजाना निकलने वाले कूड़े को गालंद में डंप करने की थी। लेकिन गालंद में कूड़ा डंप करने के लिए ट्रांसपोर्टेशन पर मोटा खर्च होने के साथ समय जाया होने के कारण जीडीए ने अन्य विकल्पों पर काम शुरू कर दिया है। अधिक खर्च से बचने के लिए प्राधिकरण की ओर से अब इंदिरापुरम में शक्ति खंड-चार वाली साइट पर ही कूड़े के निदान के प्रयास किए जाएंगे।
इसके लिए नोएडा में कूड़ा निस्तारण करने वाली एजेंसी की सेवाएं लेने पर विचार किया जा रहा है। एजेंसी अगर फाइनल होती है तो इंदिरापुरम की विभिन्न ग्रुप हाउसिंग सोसाइटीज, हाई राइज बिल्डिंग सहित घरों से निकलने वाले कूड़े का इंदिरापुरम की निर्धारित साइट पर ही उसका निस्तारण कर दिया जाएगा। एजेंसी की ओर से कूड़े को पहले सुखाकर और फिर से अलग-अलग कर उसका निस्तारण किया जाएगा। कंपनी से तकनीकी व वित्तीय दोनों पहलुओं पर बातचीत होने के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा।
एजेंसी की ओर से पहले एक साइट पर कूड़े को सुखाने के बाद पेपर, लोहा, कांच, प्लास्टिक आदि को अलग-अलग करके बेचा जाएगा। जीडीए ने जून माह में ही इंदिरापुरम में डोर-टू-डोर कलेक्शन के लिए नई एजेंसी तय कर दी थी। इंदिरापुरम से रोजाना निकलने वाला करीब 100 मीट्रिक टन कूड़े को उठाने का नई एजेंसी आठ जून से काम कर रही है। एनजीटी की मनाही के चलते वर्तमान में निकलने वाले कूड़े को वैकल्पिक स्थान पर डाला जा रहा है। ऐसे में नोएडा की तरह कूड़ा निस्तारण की एजेंसी फाइनल होने से प्राधिकरण को सबसे अधिक राहत मिलेगी। कूड़े को डालने के लिए गालंद तक की दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी। जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा ने बताया कि इंदिरापुरम से गालंद तक कूड़ा को डंप करने में समय के साथ अधिक ट्रांसपोर्टेशन खर्च होगा। साइट पर ही कूड़े का निस्तारण हो सके, इसके लिए एजेंसी से बातचीत की जा रही है।