नई दिल्ली| भारत और अमेरिका ने आज रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के तौर तरीकों के साथ ही आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे पाक तथा अफगानिस्तान से जुड़े अहम मुद्दों पर भी चर्चा की। इस दौरान भारत ने साफ किया कि वह अफगानिस्तान में सैनिक नहीं भेजेगा। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और उनके अमेरिकी समकक्ष जेम्स मैटिस ने आज द्विपक्षीय रक्षा संबंधों समेत व्यापक विषयों पर चर्चा की। सीतारमण ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमारे पड़ोस की स्थिति और सीमा-पार आतंकवाद के बढ़ते खतरे पर विस्तार से चर्चा हुई। इस मुद्दे पर हम दोनों देशों के रूख में समानता बढ़ रही है।’’
उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष इस बात का महत्व समझते हैं कि उन लोगों को देखना होगा जो आतंकवाद को अपनी राष्ट्र नीति के उपकरण के तौर पर इस्तेमाल करते हैं और उस आधारभूत ढांचे को नष्ट किया जाये जो आतंकवाद का समर्थन करता है|
मैटिस ने अपना पक्ष रखते हुये कहा, ‘‘आतंकवाद की सुरक्षित पनाहगाह को बर्दाश्त नहीं’’ किया जा सकता। उन्होंने कहा कि हम युद्धप्रभावित अफगानिस्तान में भारत के योगदान का स्वागत करते हैं। अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में सबसे ज्यादा योगदान करने वाले देशों में भारत भी शामिल है जहां वह कई विकास परियोजनाओं से जुड़ा है।
अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान में भारत से ज्यादा सहयोग की अपेक्षा व्यक्त किये जाने के बीच उन्होंने सैनिकों के योगदान की संभावना से इनकार किया। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत अफगानिस्तान में अपने सैनिक भेजेगा, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वहां (अफगानिस्तान में) भारत के सैनिक नहीं जायेंगे।’’ सीतारमण ने यह भी कहा कि मैटिस ने उन्हें आश्वस्त किया है कि वह पाकिस्तान के समक्ष उसकी धरती से उपज रहे आतंकवाद का मुद्दा उठायेंगे।